नया सवेरा नेटवर्क
ग़ज़ल: प्यार हो जाता है....
बयां करूं मैं कैसे इश्क की कहानी को,
तड़पते दिल यहां उम्मीद की रवानी मे।
दोस्तों आशिक़ी में मरता कौन है,
प्यार हो जाता है करता कौन है।
नज़र से ओ दिल में उतर जाती है,
ज़हनों दिल इश्क जब हो जाती है।
दुश्मनी ऐसे ज़माने से करता कौन है,
मोहब्बत मे ज़माने से डरता कौन है।
दोस्तों आशिक़ी में मरता कौन है,
प्यार हो जाता है करता कौन है।
बड़े मोड़ आते हैं इश्क के राह में,
मिली मंजिल कभी भटके हैं राह में।
दोस्तों जान से गुजरता कौन है,
प्यार हो जाता है करता कौन है।
युवा साहित्यकार- आशीष मिश्र उर्वर
कादीपुर, सुल्तानपुर।
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