शिक्षा शिक्षण संस्थान और भ्रष्टाचार | #NayaSaveraNetwork
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पं.जमदग्निपुरी |
नया सवेरा नेटवर्क
आज पूरे देश में शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जिसके लिए अभियान चलाकर जन को जागरुक किया जा रहा है। हर बच्चा पढ़े और शिक्षित हो इसके लिए स्कूल चलें अभियान चल रहा है। सरकार की नीति है कि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। मगर ये गरीबों के लिए सफेद हाँथी जैसा ही है। प्रतिभावान गरीब बच्चा वह नहीं पा रहा है जो वह पाना चाहता है। या जो सरकार देना चाहती है। बड़े बड़े सरकारी शिक्षण संस्थानों में अमीर के बच्चे अजगर की तरह कुण्डली मारके बैठे हैं। गरीबों का हक मारके मौज कर रहे हैं। शिक्षण संस्थान को अपराध आतंक का गढ़ बना रहे हैं। करदाताओं के कर का दुरुपयोग कर अइयासी कर रहे हैं साथ देश की भी ऐसी तैसी कर रहे हैं।
आज देश में बड़े बड़े शैक्षणिक संस्थान निजी व सार्वजनिक बन रहे हैं और बने भी हैंं सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया है कि निजी शैक्षणिक संस्थानों में 25% गरीबों के लिए आरक्षित होना ही चाहिए। लेकिन बस सुनने के लिए ही है। गरीब प्रतिभावान बच्चे वहाँ भी भ्रष्टाचार की बलि चढ़ रहे हैं। विदेश से आकर यहाँ कोई भी बिना किसी पुरावे के अच्छी शिक्षा पा सकता है। क्योंकि घुस देने के लिए उसके पास पैसा रहता है। पर यहाँ गरीब का बच्चा पुरावे के नाम से अच्छी शिक्षा से वंचित हो जा रहा हैं जिसके पास पैसा है वह कहीं भी अपना नाम लिखवा सकता है। उसको न पहचानपत्र देना है न डोमिशाईल। लेकिन वहीं महानगरों में जो गरीब बच्चा है जिसके पास रहने को घर नहीं है उसे डोमिशाईल के लिए शिक्षण संस्थान बाहर भटकने के लिए भगा दे रहे हैं। अब बताइए तो हर बच्चा स्कूल जा के क्या करेगा?उत्तर है भ्रष्टाचार की बलि चढ़ेगा।
जब गरीब का बच्चा केजी से लेकर ग्रेजुवेशन तक बिना डोमिशाईल के शिक्षा ग्रहण कर लिया तो डिप्लोमा के लिए डोमिशाईल उसी बच्चे से माँगना हास्यास्पद नहीं है। भ्रष्टाचार नहीं है। यह भी भ्रष्टाचार ही है। जब शिक्षा में इतनी बड़ी घुसखोरी चल रही है तो भ्रष्टाचार बढ़ेगा ही। क्योंकि बच्चे के मन में यह बात अच्छी तरह बैठ जाती है कि आज हम देकर कुछ बन जायेंगे तो कल हम भी इसका दोगुना ले लेंगे|आज शिक्षा ग्रहण करने का मतलब शिक्षित होना नहीं भ्रष्टाचार की मशीन बनना हो गया है। क्योंकि उसकी शिक्षा शुरू ही हुई है भ्रष्टाचार से सरकार गरीब बच्चा पढ़े इसलिए धन भी दे रही है किस्त पर। यहाँ वही भ्रष्टाचारी अजगर बैठा हैं जो गरीबों के सपनो को निगल रहा है। यहाँ भी अमीर लोग ही मौज काट रहे हैं। गरीबों को हर जगह से निराशा ही मिल रही है आज डोमिशाईल गरीबों के लिए परमाणु मिशाईल से कम नहीं है|जिसके चलते गरीब रोजगार और उच्च शिक्षा से वंचित बेरोजगार पड़ा है|प्रतिभावान होते हुए भी धन की कमी से बेकार है|
जब तक शिक्षा के लिए डोमिशाईल की माँग होगी तब तक गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा मिलना सम्भव नहीं है|क्योंकि न डोमिशाईल है न पैसा|पैसा होता तो हर जगह नाम लिखा जाता| तब डोमिशाईल नहीं पूँछा या माँगा जाता|और बच्चा बिना प्रतिभा के ही प्रतिभावान बन जाता|आज भ्रष्टाचार हम सबके मूल में भर दिया जा रहा है|शिक्षा प्राप्त करने से ही इसकी शुरुआत हो जा रही है|एक आतंकी यहाँ सब कुछ पा जाता है भ्रष्टाचार के दम पर|लेकिन एक गरीब भारतीय कुछ भी नहीं पाता|क्योंकि वह गरीब है|उसे आगे बढ़ने का मौका भी नहीं मिलता|यदि किसी तरह बढ़ने का प्रयास करता है तो अवरोधों का पहाड़ खड़ा कर दिया जाता है|जाति धर्म और पैसे का|
जब वन नेशन आईडी का काम आधारकार्ड कर रहा है तो अन्य कागजात माँगकर प्रतिभाओं का हनन क्यों किया जा रहा|हर भारतीय को पूरे भारत में शिक्षा लेने का अधिकार सख्ती से सरकार को लागू करना चाहिए|किसी भी तरह की शिक्षा के लिए सर्टीफिकेट के अलावाँ यदि कोई और पहचान पत्र माँगा जाय तो वह आधारकार्ड हो|यदि पहचान के नाम पर कोई शिक्षण संस्थान नाम लिखने के लिए आनाकानी या न लिखे तो उसकी मान्यता रद्द कर संस्थान को पूरी तरह से बंद करवा देना चाहिए|और संस्थान पर दंड भी लगाना चाहिए|इससे संस्थानों की मनमानी पर अंकुश लगेगा|हर बच्चा शिक्षित होकर योग्य बनेगा|हर बच्चे का सपना पूरा होगा|जब हर बच्चा योग्य शिक्षा पाकर योग्य बनेगा तभी भ्रष्टाचार मुक्त भारत बन पायेगा|बच्चे भविष्य हैं|जब भविष्य ही अंधकार में रहेगा तो देश कैसे विकसित होगा|इसलिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए सबसे पहले शिक्षा को भ्रष्टाचार मुक्त बनना होगा|
बहुत सारे बच्चे नकल मारके या पैसे के दम पर अपना प्रतिशत बढ़वा के अच्छे कालेजों में नाम लिखवा ले रहे हैं|वहीं बुद्धिमामान बच्चे प्रतिशत के नाम पर बलि चढ़ जा रहे हैं|महानगरों के कालेजों में नाम लिखवाने के लिए प्रतिशत नहीं पास होना कर दिया जाय तो बहुतों का सपना साकार हो जाय|बहुत से बच्चे अपनी छिपी हुई प्रतिभा को साबित कर दें|कुछ बच्चे दसवीं तक अनमने ढंग से पढ़ाई करते हैं|जिसके कई कारण होते हैं|लेकिन वही बच्चे जब कालेज में पहुँचते हैं तो उनकी पढ़ाई के प्रति उत्कंठा बढ़ती है तभी प्रतिशत की बलि चढा़ दिए जाते हैं|जो कि सरासर गलत है|जब सरकार कह रही है सभी को शिक्षा का अधिकार है तो उन बच्चों के अधिकारों का हनन क्यों?बहुत सारे बच्चे महानगरों में कभी प्रतिशत के नाम पर तो कभी पुरावा के नाम पर अच्छी शिक्षा से वंचित कर दिए जा रहे हैं|बताइए स्कूल चलो अभियान कैसे सफल होगा|जब अभिभावक और बच्चे के मन में ये बात समाई है कि 12 वीं तक किसी तरह पढ़ने के बाद आगे पढ़ ही नहीं पायेंगे और 12वीं तक पढ़ना न पढ़ने के बराबर है तो क्यों समय बरबाद करें| इससे बढ़ियाँ है कि कहीं मेहनत मजदूरी करके जीवन यापन करें| आज बहुत से बच्चे कुव्यवस्था के शिकार हो शिक्षा से वंचित हो रहे हैं| सरकार भी सफेद हाँथी छोड़कर खुश है|
पं.जमदग्निपुरी
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