वाह रे प्याज ! अब आंसुओं के सरताज | #NayaSaveraNetwork


नया सवेरा नेटवर्क

  • किचन के बॉस प्याज ने दिखाया दम ! महंगाई का फोड़ा बम 
  • नवरातत्रा समाप्त होते ही त्योहारों के सीजन की दस्तक में प्याज के भाव आसमान छूने लगे! - एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया 

गोंदिया - भारत में नवरात्र के 9 दिन धूमधाम से चलने वाले इस महापर्व में ज्यादातर हिंदू परिवारों में इन दिनों में व्रत रखे जाते हैं और प्याज लहसुन आदि कुछ सब्जियों व वस्तुओं का सेवन नहीं किया जाता जिसके कारण इनके दाम कम हो जाते हैं या स्थिर रहते हैं,क्योंकि इनकाइस्तेमाल नहीं होने से खपत बहुत कम हो जाती है, और प्याज की कीमतें अनेको दिनों तक कम ही रहती है, परंतु इस बार नवरात्रा समाप्त होने के दूसरे दिन ही प्याज की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के साथ ग्राफ बढ़ता जा रहा है। जब मैं नवरातत्रा समाप्ति के दूसरे दिन सब्जी मंडी में गया तो प्याज का भाव सुनकर स्तब्ध रह गया क्योंकि नवरात्रा के एक दिन पहले ही मैं 26 रुपए प्रति किलो के रेट से प्याज खरीदे थे, इस महंगाई का कारण मेरी समझ से परे है!सब्जी वाले से बात करने पर उन्होंने बताया कि इस बार प्याज 100 रुपए प्रति किलोग्राम से अधिक तक जाने की संभावना है। हालांकि सरकार ने दिनांक 19 अगस्त 2023 को वित्त मंत्रालय राजस्व विभाग द्वारा अधिसूचना क्रमांक 47/2023 सीमाशुल्क जारी कर प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है जो तत्काल प्रभाव से 31 दिसंबर 2023 तक जारी रहेगा, क्योंकि एक जानकारी के अनुसार जनवरी:मार्च 2023 में प्याज का निर्यात 8.2 लाख टन रहा जबकि यही पिछली अवधि यानें जनवरी-मार्च 2022 में 3.8 लाख टन था। भारत में टमाटर और प्याज को स्वाद याने टेस्ट की चाबी माना जाता है जो भोजन रूपी दरवाजे और उसके स्वाद को प्याज टमाटर रूपी चाबी से खोला जाता है। यानें यह दोनों नहीं रहे तो मेरा मानना है कि अमीर से गरीब व्यक्ति तक को भोजन के स्वाद में कुछ ना कुछ कमीं महसूस करने को मिल जाएगी, इसका अनुभव घर के होम मिनिस्टर यानें महिलाओं को अधिक अनुभव होना लाजमी है, क्योंकि बिना प्याज टमाटर के सब्जी बनाना कितना मुश्किल होता है इनसे अधिक कोई नहीं जान सकता। क्योंकि यदि सब्जी में प्याज किसी को वर्जित है तो उसका अल्टरनेट टमाटर है और टमाटर का अल्टरनेट प्याज है, यदि दोनों ही नहीं हो तो स्वाद की चाबी गुम समझो ! चूंकि अभी प्याज एकाएक 60 -70 रुपए प्रति किलोग्राम हो गए हैं इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी और मेरी ग्राउंड रिपोर्टिंग के आधार पर हम चर्चा करेंगे वाह प्याज ! अब आंसुओं के सरताज। 

साथियों बात अगर हम प्याज की महंगाई के क्रमिक रूप से बढ़ती भारी कीमतों को समझने की करें तो, टमाटर के बाद प्याज ने रुलाने की प्लानिंग शुरू कर दी है। बीते 15 दिनों में लासलगांव एपीएमसी में प्याज की थोक कीमतों में 58 फीसदी का इजाफा हो चुका है। खास बात तो ये है पिछले हफ्ते ही प्याज की कीमत में 18 फीसदी का इजाफा हुआ है। दिसंबर महीने तक प्याज के दाम में तेजी देखने को मिल सकती है। दो दिन पहले तक, लासलगांव मार्केट में में प्याज की औसत कीमत 38 रुपए प्रति किलोग्राम थी, जो दो सप्ताह पहले 24 रुपए प्रति किलोग्राम से 58 प्रतिशत अधिक है. इससे पहले जुलाई और अगस्त के महीने में टमाटर की कीमत आसमान पर पहुंच गई थी। जिसकी वजह से आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। महंगाई की वजह से सरकार के माथे पर बल पड़ने शुरू हो गए थे। अब प्याज रुलाने की तैयारी कर रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमतें 25-50 फीसदी तक बढ़ गई हैं। फिलहाल प्याज 60-70 रुपये किलो बिक रहा है। बुधवार को दिल्ली के साथ-साथ महाराष्ट्र के कुछ बाजारों में अच्छी क्वालिटी वाले प्याज की उच्चतम कीमत 70 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई। अहमदनगर में, 10 दिनों में प्याज की औसत कीमतें लगभग 35 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 55 रुपए प्रति किलो हो गई हैं। इसी तरह, महाराष्ट्र के अधिकांश प्याज उत्पादक जिलों में प्याज की थोक कीमतें अब 45 से 48 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्याज की कीमतें दिसंबर तक बढ़ने का अनुमान है, साथ ही नई खरीफ फसल के आने में भी देरी हो रही है, जो लगभग दो महीने की देरी से आने की उम्मीद है. बाजारों में प्याज की घटती आवक प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक पखवाड़े में, भंडारित प्याज की आवक में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो लगभग 400 वाहन प्रति दिन (10 टन प्रत्येक) से घटकर लगभग 250 वाहन हो गई है। 

साथियों बात अगर हम नई प्याज आने की करें तो,  यह स्थिति बनी रहने की उम्मीद है क्योंकि खरीफ सीजन से नए लाल प्याज की आवक में लगभग दो महीने की देरी हो रही है। बता दें केंद्र सरकार ने 19 अगस्त को प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा दिया था, इसके अतिरिक्त, सरकार ने बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए नेफेड द्वारा खरीदे गए प्याज को मौजूदा बाजार दरों से कम पर थोक बाजारों में बेचना शुरू कर दिया था। 

साथियों बात अगर हम प्याज पर निर्यात शुल्क 40 प्रतिशत लगाने के कारणों की करें तो, इस साल जनवरी से मार्च 2023 की अवधि में प्याज का निर्यात असाधारण रूप से उच्च स्तरपर लगभग 8.2 लाख टन रहा है, जबकि पिछले साल इस अवधि में यह 3.8 लाख टन था।सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में मानसून के देरी से आने के कारण खरीफ की बुआई में देरी हुई।यही कारण रहा है कि प्याज समेत अन्य जरूरी सब्जियों की औसत खुदरा कीमत एक महीने पहले के 25 रुपये की तुलना में बढ़कर 30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। इससे पहले, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) ने भी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से 1.50 लाख टन प्याज की खरीद की थी। इसके अलावा, प्याज की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए सरकार ने पायलट आधार पर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) की मदद से इसका विकिरण शुरू किया। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 से 2023-24 के बीच उच्च खपत वाले क्षेत्रों में रबी सीजन की खरीद के कारण प्याज का वार्षिक बफर एक लाख टन से तीन लाख टन तक होगा। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, प्याज बफर ने उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने और मूल्य स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।भारत को प्याज की लगभग 65 प्रतिशत आपूर्ति रबी सीजन से प्राप्त होती है, जिसकी कटाई अप्रैल-जून के दौरान होती है और अक्टूबर-नवंबर में खरीफ फसल की कटाई होने तक उपभोक्ताओं की मांग को पूरा किया जाता है। 

साथियों बात अगर हम प्याज महंगे होने के इतिहास की करें तो, प्याज के महंगे होने की कहानी कोई पहली बार की नहीं है। अगर 10 साल पीछे के प्याज कारोबार को देखें तो महंगी प्याज ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं। देश की सरकारों को हिलाने के साथ ही यह भी पहला ही मौका था जब किसी सामान के महंगा होने की वजह जानने के लिए जांचआयोग बनाया गया था। हालांकि जमाखोरों और दलालों के चलते आयोग को अपना काम बीच में ही बंद करना पड़ा था। लेकिन बंद होने से पहले आयोग ने यह रिपोर्ट दे दी थी कि प्याज महंगी होने के पीछे कोई एक नहीं कई बड़ी वजह हैं. आपको बता दें कि दिल्ली समेत देशभर में रफ्तार पकड़ रही प्याज के भाव को कंट्रोल करने की कवायद का असर शायद दिखने लगा है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वाह रे प्याज ! अब आंसुओं के सरताज।किचन के बॉस प्याज ने दिखाया दम ! महंगाई का फोड़ा बम।नवरातत्रा समाप्त होते ही त्योहारों के सीजन की दस्तक में प्याज के भाव आसमान छूने लगे!

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


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