वाराणसी: मां के जयकारे और ढाक की गूंज के बीच दी विदाई | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
वाराणसी। शारदीय नवरात्र में भगवती दुर्गा की आराधना के बाद मंगलवार को विसर्जन किया गया। हालांकि मंगलवार के कारण उत्तर भारतीय पद्धति से पूजा करने वाले पंडालों से प्रतिमा का विसर्जन बुधवार को किया गया। वहीं बंगीय समाज ने विजया दशमी की प्रधानता स्वीकारते मंगल को ही विसर्जन किया। सबसे पहले दशाश्वमेध क्षेत्र स्थित वाराणसी विजया सम्मिलनी की प्रतिमा का विसर्जन हुआ। विकास यादव के नेतृत्व में प्रतिमा का विसर्जन लक्ष्मी कुंड में किया गया। शहर के अन्य हिस्सों में भी छोटी प्रतिमाओं के विसर्जन का सिलसिला दोपहर बाद शुरू हुआ।
लक्ष्मीकुंड, मंदाकिनी कुंड, ईश्वरगंगी, संकुलधारा, पहड़िया तालाब, गणेशपुर तालाब, विश्वसुंदरी पुल के पास कृत्रिम गंगा कुंड, रामनगर, मछोदरी, भिखारीपुर पोखरा, लहरतारा तालाब और खड़गपुर तालाब में विसर्जन की व्यवस्था की गई थी। भेलूपुर क्षेत्र के बंगीय पूजा पंडालों से प्रतिमाओं की रवानगी दोपहर बाद शुरू हो गई। ढाक की गूंज के बीच मां के जयकारे के साथ बंगीय परिवार के स्त्री-पुरुष, किशोर-युवा नाचते गाते विसर्जन शोभायात्रा में शामिल हुए। सभी प्रतिमाएं शंकुलधारा पोखरे में विसर्जित की गईं।