बेरोजगारी | #NayaSaveraNetwork
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रितेश मौर्य |
नया सवेरा नेटवर्क
बेरोजगारी
एक नौकरी की ख्वाहिश है
पता नहीं कब पूरी होगी,
या नौकरी मिल जायेगी अब
या खुशी अधूरी होगी ।
हर पढ़े लिखे व्यक्ति को
एक चिंता सता रही है ,
समय बीत रहा है और
जिम्मेदारियां आ रही हैं।
कब तक हम किताबों में
फंसकर सबको उलझाएंगे,
समय रहते अगर नौकरी नहीं की
तो बाद में बहुत पछताएंगे।
जिम्मेदारी ने हमें इतना तोड़ दिया
हमने किताबों का साथ छोड़ दिया ,
बस कोई अच्छी जॉब मिल जाए
थोड़ा घर वालों को सुकून मिल जाए ।
कोशिश कर रहे हैं हम लोग पर
लोग हमें गलत समझते हैं,
अब तो शादी हो या कोई फंक्शन
हम उनसे बच के निकलते हैं।
जो जानते हैं की हम अभी कुछ
नहीं कर रहे हैं
उनका भी सवाल है –क्यू कुछ नहीं कर रहे ???
समय लगेगा थोड़ा मौसम बदलेगा
जो आज उदास है कल सुकून में होगा ,
कुछ पाने की चाहत में ही लोग विदेश चले जाते हैं
ज़िम्मेदारी को पूरा करने के लिए घर ,परिवार ,दोस्त सबकुछ छोड़ जाते हैं।
रितेश मौर्य
जौनपुर, उत्तर प्रदेश।
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