नया सवेरा नेटवर्क
- अंतरिक्ष की उड़ान भरने भारत का पहला ह्यूमन मिशन गगनयान
- भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहले गगनयान कार्यक्रम की शुरुआत हुई - 2025 से 2040 तक की रूपरेखा की तैयारी सराहनीय - एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानीं गोंदिया
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत जिस तेजी के साथ भारत अपनी टेक्नोलॉजी के विस्तार प्रौद्योगिकी क्षमताओं का विस्तार कर रहा है दुनियां यह देखकर हैरान है ! परंतु जब उनका ध्यान भारत के पैतृक और पीढ़ियों से गॉड गिफ्टेड में मिली बौद्धिक क्षमताओं पर जाता है तो उन्हें विश्वास करना पड़ता है कि असफलताओं से सफलताओं का रास्ता ढूंढने वाले भारत माता के सपूतों की जय हो! चंद्रयान-3 सूर्यायान की सफलता के बाद अब बारी गगनयान की है जिसके आधार पर भारत ने 2040 तक चंद्रमा पर मानवीय दल भेजने की अपनी रूपरेखा तैयार कर ली है। याने आज दिनांक 21 अक्टूबर 2023 सुबह 8 बजे भारतीय अंतरिक्ष यान के साथ पहले गगनयान कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है। जिसकी आगे की रूपरेखा पूर्ण रूप से तैयार है। चूंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)द्वारा कतारबद्द सफलताओं की श्रेणी में एक और सफलता अर्जित की है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, अंतरिक्ष की उड़ान, गगन यह ने बढ़ाया भारत का मान, भारत की मुट्ठी में होगा आसमान।
साथियों बात अगर हम गगनयान कार्यक्रम की शुरुआत की करें तो, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) शनिवार (21 अक्टूबर, 2023) को सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट की लॉन्चिंग के जरिए पहले क्रू मॉड्यूल टेस्टिंग के साथ ही अपने महत्वाकांक्षी मानवअंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान की यात्रा को रफ्तार देगा। यहपरीक्षण अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा किया गया। इसरो का लक्ष्य तीन दिवसीय गगनयान मिशन के लिए मनुष्यों को 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। इसरो के अन्य मिशन से इतर अंतरिक्ष एजेंसी अपने परीक्षण वाहन एकल चरण वाले तरल रॉकेट (टीवी-डी1) के सफल प्रक्षेपण का प्रयास, जिसे 21 अक्टूबर को सुबह आठ बजे इस स्पेसपोर्ट के पहले लॉन्च पैड से उड़ान भरने के लिए निर्धारित किया गया था। इस क्रू मॉड्यूल के साथ परीक्षण वाहन मिशन समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि उड़ान परीक्षण के लिए लगभग पूरी प्रणाली एकीकृत है। इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष योग्यता परीक्षणों और मानवरहित मिशनों के लिए मंच तैयार करेगी, जिससे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा, जिसके 2025 में अमल में आने की उम्मीद है। इसमें क्रू इंटरफेस, जीवन रक्षक प्रणाली, वैमानिकी और गति में कमी से जुड़ी प्रणाली (डिसेलेरेशन सिस्टम) मौजूद हैं। नीचे आने से लेकर उतरने तक के दौरान चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे पुन: प्रवेश के लिए भी डिजाइन किया गया है।
साथियों बात अगर हम इस मिशन की सफलता,शेष परीक्षणों की तैयारी की करें तो, इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष परीक्षणों और मानवरहित मिशन के लिए मंच तैयार करेगी, जिससे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा, जिसके 2025 में आकार लेने की उम्मीद है। टेस्ट वीइकल एस्ट्रोनॉट के लिए बनाए गए क्रू मॉड्यूल को अपने साथ ऊपर ले जाएगा। फिर 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर किसी एक पॉइंट पर अबॉर्ट जैसी स्थिति बनाई जाएगी और क्रू एस्केप सिस्टम को रॉकेट से अलग किया जाएगा। इस दौरान टेस्ट किया जाएगा कि क्या क्रू एस्केप सिस्टम ठीक काम कर रहा है। इसमें पैराशूट लगे होंगे, जिनकी मदद से यह सिस्टम श्रीहरिकोटा तट से करीब 10 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में टचडाउन करेगा। भारतीय नेवी का जहाज और डाइविंग टीम की मदद से इसे बाहर निकाला जाएगा।
साथियों बात अगर हम गगनयान मिशन के लाइव प्रोग्राम टेलीकास्ट की करें तो, अनेक निजी टीवी चैनलों सहित टीवी-डी1 परीक्षण उड़ान प्रक्षेपण का डीडी न्यूज चैनल पर सीधा प्रसारण किया गया और इसरो अपनी आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रक्षेपण का सीधा प्रसारण किया। परीक्षण के दौरान चालक बचाव प्रणाली, क्रू मॉड्यूल विशेषताएं और अधिक ऊंचाई पर गति नियंत्रण शामिल हैं। इस अभियान के माध्यम से, वैज्ञानिकों का लक्ष्य चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जिन्हें वास्तव में गगनयान मिशन के दौरान एलवीएम-3 रॉकेट से क्रू मॉड्यूल में भेजा जाएगा।
साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा 17 अक्टूबर 2023 को इसरो वैज्ञानिकों से मीटिंग की करें तो, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2040 तक चंद्रमा पर इंसान को भेज सकता है। 2035 तक अपना स्पेस स्टेशन बना सकता है। हालांकि इससे पहले 2025 में वह अंतरिक्ष में मानव मिशन गगनयान भेजेगा। यह टारगेट मंगलवार यानी 17 अक्टूबर को इसरो के वैज्ञानिकों के साथ पीएम की मीटिंग में तय किए गए। पीएम ने 21 अक्टूबर को भारत के पहले ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन गगनयान के क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग की तैयारियों की जानकारी भी ली थी। पीएमओ ने प्रेस में बताया था कि भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान 2025 में होने की संभावना है।मीटिंग में पीएम ने इसरो के वैज्ञानिकों से कहा था कि हमें 2035 तक अपना स्पेस स्टेशन बनाने और 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने की योजना पर काम करना चाहिए। पीएम ने वीनस ऑर्बिटर मिशन और मार्स लैंडर पर भी काम करने को कहा था। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो लगातार अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना कद बढ़ाती जा रही है। कुछ ही दिन पहले पीएम ने गगनयान मिशन की तैयारियों की समीक्षा के दौरान वैज्ञानिकों के लिए नए टारगेट सेट किए। 2040 तक पहले भारतीय को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य रखें। शुक्र और मंगल ग्रह के लिए भी मिशन की शुरुआत करने की बात पीएम ने कही थी। बैठक में गगनयान मिशन की तैयारियों की समीक्षा की गई थी। पीएम ने साल 2018 में स्वतंत्रता दिवस भाषण में गगनयान मिशन की घोषणा की थी। 2022 तक इस मिशन को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई। अब 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत तक इसके पूरा होने की संभावना है। इसरो इस मिशन के लिए चार एस्टोनॉट्स को ट्रेनिंग दे रहा है। बेंगलुरु में स्थापित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में क्लासरूम ट्रेनिंग, फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग, सिम्युलेटर ट्रेनिंग और फ्लाइट सूट ट्रेनिंग दी जा रही है। इसरो भविष्य के मानव मिशनों के लिए टीम का विस्तार करने की योजना भी बना रहा है। गगनयान मिशन के लिए करीब 90.23 अरब रुपए का बजट आवंटित किया गया है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अंतरिक्ष की उड़ान - गगनयान ने बढ़ाया भारत का मान - भारत की मुट्ठी में होगा आसमान।अंतरिक्ष की उड़ान भरने भारत का पहला ह्यूमन मिशन गगनयान।भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहले गगनयान कार्यक्रम की शुरुआत हुई - 2025 से 2040 तक की रूपरेखा की तैयारी सराहनीय है।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
0 टिप्पणियाँ