नया सवेरा नेटवर्क
जलालपुर। बयालसी महाविद्यालय में हिंदी दिवस धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. चंद्र भूषण त्रिपाठी ने किया। डॉ. प्रतिभा सिंह ने हिंदी के व्यापक स्तर के बारे में बताया और नई शिक्षा नीति में सम्मिलित सभी क्षेत्रीय भाषाओं के बारे में जानकरी दी। डॉ. श्री कृष्ण सिंह ने राजभाषा और राष्ट्रभाषा के बीच अंतर को स्पष्ट किया। डॉ. उज्जवल सिंह ने भारतेंदू हरिश्चंद्र की पंक्तियों "निज भाषा उन्नति अहै" से अपने उद्बोधन की शुरुआत की। डॉ. अजीताभ नारायण मिश्र ने हिंदी में रोजगार की संभावनाओं पर विचार किया। डॉ. हिमांशु कुमार ने मातृभाषा के प्रयोग पर बल दिया।
डॉ. प्रदीप कुमार यादव ने हिंदी के राजभाषा, राष्ट्रभाषा के स्वरूप को बताया और जनकवि नागार्जुन के माध्यम से हिंदी के महत्व को उजागर किया। अनिल कुमार ने हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच संबंध को बताया। डॉ. जयसिंह ने हिंदी को गागर में सागर भरने वाली भाषा कहा। महाविद्यालय के मुख्य अनुसास्ता डॉ. जगत नारायण सिंह ने हिंदी के वैश्विक स्वरूप पर प्रकाश डाला। डॉ. संजय नारायण सिंह ने मातृभाषा हिंदी के स्वरूप को व्याख्यित किया और इसे अधिक सशक्त बनाने का प्रयास किया।
डॉ. अंशुमान सिंह ने विदेशों में हिंदी की दशा और दिशा पर प्रकाश डाला। डॉ. बृजेश मिश्र ने हिंदी भाषा का राष्ट्र में योगदान विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अलकेश्वरी सिंह ने अपने संस्मरण के माध्यम से हिंदी भाषा के महत्व को स्पष्ट किया और बताया कि हिंदी कहीं से भी रोजगार में बाधा नहीं रही। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त छात्र एवं छात्राएं शिक्षकगण उपस्थित रहे।
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