नया सवेरा नेटवर्क
सुजानगंज। श्री गौरीशंकर संस्कृत महाविद्यालय के फेसबुक पेज पर संस्कृत सप्ताह व्याख्यान माला के चतुर्थ दिवस शुक्रवार को नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय प्रयागराज के प्रो. देवनारायण पाठक ने कहा कि आर्ष परंपरा में संस्कृत के वैज्ञानिक तत्त्व निहित हैं। ईशावास्योपनिषद् का प्रथम मंत्र वैश्वीकरण की संस्कृति दृष्टि का प्रथम आलोक है। जिसमें संपूर्ण विश्व की सर्वात्मभाव का स्वीकार और लोभ का परिहार निहित है। यह उपदेश अन्यत्र दुर्लभ है। संस्कृत दृष्टि में वैश्वीकरण का यही सच्चा स्वरूप है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ0 जयप्रकाश तिवारी ने की। आए हुए अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विनय त्रिपाठी ने किया। अतिथियों का आभार विनोद तिवारी ने किया। इस अवसर पर खगेंद्र मिश्रा, अखिलेश, विपिन सिंह, शिवानंद चतुर्वेदी, संदीप तिवारी आदि उपस्थित रहे।
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