जी20: दुनियां की सबसे बड़ी महाशक्तियों का भारत में मेला-शानदार आयोजन, जानदार समापन | #NayaSaveraNetwork




नया सवेरा नेटवर्क

  • जी-20 का संदेश-दिल्ली में जुटे 29 बड़े देश-जो बिडेन मोदी का चीन को संदेश 
  • भारत ने अफ्रीकी यूनियन सदस्यता,इकोनामिक कॉरिडोर कनेक्टिविटी, पहले दिन ही घोषणा पत्र पर सहमति, 73 मुद्दों पर सहमति और नेतृत्व की अमिट शाप से इतिहास रच दिया है - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर हर देश के पास अपनी प्रबुद्धता सफ़लता, कौशलता, बौद्धिक क्षमता और नेतृत्व दिखाने के लिए अनेक अवसर आते हैं,बस! ज़रूरत है उसे पहचानकर उसमें अवसर ढूंढ कर अपनी कला दिखाकर अमित शॉप छोड़ना महत्वपूर्ण होता है, जिसमें भारत को महारत हासिल है, जो उसने जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 में पूरी दुनियां को अपनी कौशलता, बौद्धिक क्षमता और कुशल नेतृत्व का दमदार आगाज़ कर दिया है कि,अब भारत पहले वाला नहीं बल्कि सफ़ल प्रौद्योगिकी,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पेस कौशल क्षेत्र, शिक्षा सहित अनेको क्षेत्र में महारत हासिल देश है, जिसे अब हल्के में नहीं लिया जा सकता। हर वैश्विक गतिविधियों में भारत की खनक जरूर दिखेगी अन्यथा सफ़लता की संभावना पर प्रश्न चिन्ह लगेगा। 


इस अवसर पर भारत के साथ सोने पर सुहागा अनेक विकसित देशोंने हाथों हाथ लेकर कंधे से कंधा मिलाकर भारत का सहयोग करने से मिला है, खास करके अमेरिका जैसे विश्व की महाशक्ति का दूरगामी सफलता परिणाम वाला साथ भारत को मिला है, जिससे भारत गदगद को उठा है। इसलिए ही मीडिया में खूब वायरल हो रहा है जी-20 दिल्ली के 29 बड़े देश, जो बाइडेन मोदी का चीन को संदेश। 

क्योंकि दुनियां की सबसे बड़ी महाशक्तियों का भारत में जिस तरह मेला लगा है और शिखर सम्मेलन के शानदार आयोजन जानदार समापन होकर वहां 2024 की जी-20 की कमान ब्राजील को सौंपी है, परंतु भारत की अविश्वसनीय सफलताओं की गाथाएं स्वर्णिम इतिहास का हिस्सा बन चुकी है।खासकरकेअफ्रीकी यूनियन को सदस्य बनाना, इकोनामिक कॉरिडोर कनेक्टिविटी, पहले दिन ही घोषणा पत्र पर सहमति, रिकॉर्ड 73 मुद्दों पर सहमति और भारतीय नेतृत्व की अमिट शाप को पीढ़ीयों तक बुलाया नहीं जा सकेगा,चूंकि जी20 शिखर सम्मेलन भारत 2023 बदल रहा है इतिहास, जो बिडेन सहित सभी देश बने भारत के ख़ास, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, जी20 दुनियां की सबसे बड़ी महाशक्तियों का भारत में मेला, शानदार आयोजन जानदार समापन। 

साथियों बात अगर हम जी-20 के भारत शिखर सम्मेलन की करें तो, 18वां जी20 शिखर सम्मेलन रविवार को संपन्न हो गया। शिखर सम्मेलन में दुनिया के प्रमुख देशों के नेता शामिल हुए और इस दौरान कई महत्वपूर्ण डेवलपमेंट हुए। विभिन्न देशों को अलग से प्रासंगिक मुद्दों का हल निकालने का भी अवसर दिया। विश्वमंथन के सबसे बड़े मंच जी-20 की बैठक के पहले दिन ही दिल्ली घोषणा पत्र पर सहमति बनने से इतिहास रच गया है। इस बार का जी-20 समिट, अब तक का सबसे सफल समिट भी बन गया है।इसमें पिछले समिट की तुलना में सबसे ज्यादा काम हुआ है।भारत में हुए समिट के पहले दिन कुल 73 मुद्दों पर चर्चा के बाद सहमति बनी, जबकि पिछले साल इसी समिट में सिर्फ 27 मुद्दों पर ही सहमति बन पाई थी। 

2021 में 36, 2020 में 22, 2019 में 13, 2018 में 12 और 2017 में जब जर्मनी में जी-20 का समिट हुआ था, तब सिर्फ 8 मुद्दों पर ही चर्चा के बाद सहमति बनी थी.। लेकिन भारत ने इस बार केसमिट में सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 73 मुद्दों पर चर्चा की और इस पर सभी देशों के राष्ट्र अध्यक्षों और नेताओं के बीच इन पर सहमति भी बना ली। भारत में जी20 समिट ने सफलता के नए आयाम रचे है, इसी कड़ी में 9 सितंबर के दिन भी जी20 समिट के दौरान कई बड़े ऐलान हुए, कई ऐसे फैसले हुए जिनके दूरगामी परिणाम देखने को मिलने वाले हैं। 

एक तरफ पीएम ने अपना वादा पूरा करते हुए अफ्रीकी यूनियन को भी जी20 का हिस्सा बनवा दिया, तो वहीं दूसरी तरफ जिस तरह से पीएम की सामने रखी प्लेट पर इंडिया की जगह भारत लिखा हुआ था, उसने भी पूरी दुनियां को एक बड़ा सियासी संदेश देने का काम किया।इसके अलावा राष्ट्रपति जो बिडेन ने मिडिल ईस्ट को जोड़ते हुए एक इकोनामिक कॉरिडोर बनाने का भी ऐलान किया। जानकार मानते हैं इस समय पाकिस्तान और चीन के रोड एंड बेल्ट इनीशिएटिव प्रोजेक्ट की वजह से कई देशों की दिक्कतें बढ़ गई हैं, ऐसे में उसे काउंटर करने के लिए और मिडिल ईस्ट तक व्यापार को बढ़ाने के लिए इस इकोनामिक कॉरिडोर को बनाने का फैसला हुआ है। दोनों भारत और अमेरिका इसमें एक सक्रिय भूमिका निभाने वाले हैं।

 जी20 समिट के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान भारत मध्य पूर्व यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर भी लॉन्च हुआ।चीन की परियोजना का विकल्प, देगा टक्कर भारत और अमेरिका ने इस आर्थिक गलियारे की घोषणा की, जिसमें पीएम ने कनेक्टिविटी पहल को बढ़ावा देते हुए सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर दिया। नए आर्थिक गलियारे को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण की पहलसंयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे एशिया, अरब की खाड़ी और यूरोप के बीच बढ़ी हुई कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने की उम्मीद है। 

साथियों बात अगर हम राष्ट्रों के संयुक्त वाक्त्व्यों की करें तो भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका अमेरिका का संयुक्त वक्तव्य प्रविष्टि तिथि:हम, भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के नेताओं ने अपने साझा विश्व के लिए समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के प्रमुख मंच के रूप में जी20 के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए नई दिल्ली में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के अवसर पर मुलाकात की।जी20 की वर्तमान और अगली तीन अध्यक्षताओं के रूप में हम वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की जी20 अध्यक्षता की ऐतिहासिक प्रगति पर आगे काम करेंगे। इस भावना को ध्यान में रखते हुए, विश्व बैंक के अध्यक्ष के साथ, हम बेहतर, बड़े और अधिक प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंकों के निर्माण के प्रति जी20 की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं। बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अपने लोगों को समर्थन देने के लिए, यह प्रतिबद्धता उन कार्यों पर ज़ोर देती है जो जी20 के माध्यम से एक साथ मिलकर किए जा सकते हैं। 

साथियों बात अगर हम सम्मेलन के आखिरी दिन वन फ्यूचर पर माननीय पीएम के संबोधन की करें तो, उन्होंने कहा मुझे संतोष है कि आज जी20 वन अर्थ वन फैमिली वन फ्यूचर,  के विज़न को लेकर, आशावादी प्रयासों का प्लेटफ़ॉर्म बना है।यहां हम ऐसे फ्यूचर की बात कर रहे हैं, जिसमें हम ग्लोबल विलेज से आगे बढ़कर क्लोज बाल फैमिली को हकीकत बनता देखें।एक ऐसा फ्यूचर जिसमें देशों के केवल हित ही नहीं जुड़े हों, बल्कि हृदय भी जुड़े हों।मैंने जीडीपी सेंट्रिक अप्रोच के बजाय ह्यूमन सेंट्रिक वर्जन पर निरंतर आपका ध्यान आकर्षित किया है।आज भारत जैसे अनेक देशों के पास ऐसा कितना कुछ है, जो हम पूरे विश्व के साथ साझा कर रहे हैं।भारत ने चंद्रयान मिशन के डेटा को मानव हित में सबके साथ शेयर करने की बात की है।ये भी हूंमन सेंट्रिक  ग्रोथ को लेकर हमारे कमिटमेंट का प्रमाण है।भारत ने टेक्नॉलॉजी को इंक्लूसिव डेवलपमेंट के लिए, लास्ट माइल डिलिवरी के लिए, उपयोग किया है।हमारे छोटे से छोटे गाँव में, छोटे से छोटा व्यापारी भी, डिजिटल पेमेंट्स कर रहा है। मुझे खुशी है कि भारत की अध्यक्षता में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मजबूत फ्रेमवर्क पर सहमति बनी है।इसी तरह, जी20 प्रिंसिपल्स ऑन हैरिसिंग डाटा फॉर डेवलपमेंट को भी स्वीकार किया गया है।ग्लोबल साउथ के विकास के लिए डाटा फॉर डेवलपमेंट कैपेसिटी बिल्डिंग इनीशिएटिव को लॉन्च करने का निर्णय भी लिया है।भारत की प्रेसीडेंसी में स्टार्टअप 20 इंगेजमेंट ग्रुप का गठन भी एक बड़ा कदम है।आज हम न्यू जेनेरेशन टेक्नॉलॉजी में अकल्पनीय स्केल और स्पीड के गवाह बन रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उदाहरण हमारे सामने है। 2019 में जी20 ने प्रिंसिपल्स ऑन एआई अपनाये थे। आज हमें उससे एक कदम और आगे बढ़ने की जरूरत है।मेरा सुझाव है कि अब हम रिस्पांसिबल ह्यूमन सेंटर एआई गवर्नेंस के लिये एक फ्रेमवर्क तैयार करें। इस संबंध में भारत भी अपने सुझाव देगा। हमारा प्रयास होगा कि सोशियो इकोनामिक डेवलपमेंट ग्लोबल वर्कफोस  और आरडी जैसे क्षेत्रों में सभी देशों को एआई का लाभ आज कुछ अन्य ज्वलंत समस्याएं भी हमारे विश्व के सामने हैं, जो हम सभी देशों के वर्तमान और भविष्य, दोनों को प्रभावित कर रही हैं।साइबर सिक्योरिटी और क्रिप्टो करेंसी की चुनौतियों से हम परिचित हैं। क्रिप्टो करेंसी सोशल ऑर्डर मॉनिटरी और फाइनेंशली क्षेत्र में स्टेबिलिटी का क्षेत्र, सबके लिए एक नया विषय बनकर उभरा है। इसलिए हमें क्रिप्टो करेंसीज को रेगुलेट करने के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड्स डेवलप करने होंगे। हमारे सामने बेसिल स्टैंडर्ड्स ओं बैंक रेगुलेशंस एक मॉडल के रूप में है।

इस दिशा में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाने कीआवश्यकता है। इसी प्रकार साइबर सिक्योरिटी के लिए भी वैश्विक सहयोग और फ्रेमवर्क की ज़रूरत है। साइबर जगत से आतंकवाद को नए माध्यम, फंडिंग के नए तौर-तरीके मिल रहे हैं।ये हर देश की सुरक्षा और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है।जब हम हर देश की सुरक्षा, हर देश की संवेदना का ध्यान रखेंगे, तभी वन फ्यूचर का भाव सशक्त होगा।

विश्व को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने के लिए ये जरूरी है कि वैश्विक व्यवस्थाएं वर्तमान की वास्तविकताओं के मुताबिक हों।आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी इसका एक उदाहरण है।जब यूंएन की स्थापना की गयी थी, उस समय का विश्व आज से बिलकुल अलग था। उस समय यूएन में 51 फाउंडिंग मेंबर्स थे। आज यूएन में शामिल देशों की संख्या करीब 200 हो चुकी है।बावजूद इसके, यूएनएससी में स्थाई सदस्य आज भी उतने ही हैं।तब से आज तक दुनिया हर लिहाज़ से बहुत बदल चुकी है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करउसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जी-20 दुनियां की सबसे बड़ी महाशक्तियों का भारत में मेला - शानदार आयोजन, जानदार समापन।जी-20 का संदेश - दिल्ली में जुटे 29 बड़े देश - जो बिडेन मोदी का चीन को संदेश।भारत ने अफ्रीकी यूनियन सदस्यता,इकोनामिक कॉरिडोर कनेक्टिविटी, पहले दिन ही घोषणा पत्र पर सहमति, 73 मुद्दों पर सहमति और नेतृत्व की अमिट शाप से इतिहास रच दिया है।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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