नया सवेरा नेटवर्क
- अमेरिकी राष्ट्रपति भारत वियतनाम के दौरे पर होते हुए, आसियान बैठक में गैर हाजिर रहना, अपने आप में बहुत कुछ कहता है
- आसियांन शिखर सम्मेलन में अमेरिका चीन के बीच रुतबा दिखाने पर खींचतान की संभावना को भारत ने रेखांकित करना होगा - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया
गोंदिया- वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां में विकासशील सहित विकसित देशों के बीच भारत की सकारात्मक केमिस्ट्री जिस तरह प्रगाड़य हो रही है उससे वैश्विक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की पूछ परख, रुतबा और वज़न काफी हद तक बढ़ा है और हर कार्यक्रम में भारतीय सुविधा जनक समय सुझावों को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है, ऐसा पूरी दुनियां में माना जाना लगा है, यही कारण है कि आसियान के मौजूदा अध्यक्ष इंडोनेशिया ने भारत की जी20 में व्यस्तता और 9-10 सितंबर 2023 को हो रहे शिखर सम्मेलन 5-7 सितंबर 2023 के चलते हुए भारतीय पीएम जो बुधवार 6 सितंबर 2023 को देर शाम जकार्ता जा रहे हैं और 7 सितंबर 2023 को देर शाम लौटनें के प्लान को देखते हुए दोनों शिखर सम्मेलनों के समय को समायोजित किया गया है ताकि सुविधा से लौट सकें और जी20 के नेताओं और अमेरिका राष्ट्रपति से 8 सितंबर 2023 को द्विपक्षीय बैठक सुचारू रूप से संचालित हो। बता दें कि भारत और आसियान के बीच रणनीतिक साझेदारी की घोषणा के बाद यह पहला भारत आसियान शिखर सम्मेलन हो रहा है। बता दें कि हाल ही में चीन द्वारा जारी दक्षिण चीन सागर के क्षेत्र पर चीनी आधिपत्य का दावा किया जाने के लिए जारी किए गए मानचित्र पर आसियान देशों द्वारा संयुक्त वक्तव्य जारी कर कड़ा विरोध दर्ज कराया गया है। बता दें चीनी मानचित्र में भारत के प्रादेशिक क्षेत्र को भी अपना दर्शाया गया है वहीं इस सम्मेलन में अमेरिकन उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी पहुंच चुकी है, तो स्वाभाविक ही है कि अमेरिका इस मुद्दे हाथों हाथ लेते हुए हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दखलंदाजी सहित कुछ मुद्दे उठाकर अपना रुतबा दिखाने की कोशिश करेगा वही चीन भी अपना दबदबा दिखाएगा यानें दोनों संवाद भागीदारों के बीच खींचतान से इनकार नहीं किया जा सकता। वैसे भी अमेरिकी राष्ट्रपति इसी क्षेत्र में भारत वियतनाम दौरे पर होते हुए भी आसियान शिखर सम्मेलन की बैठक में गैर हाजिर रहना अपने आप में बहुत कुछ कहता है, इससे भारत का रुतबा बहुत बढ़ जाएगा क्योंकि अमेरिका द्वारा भारत को प्राथमिकता देने का संदेश स्पष्ट जाएगा वैसे भी आसियान शिखर सम्मेलन कोभारतीय सहूलियत के हिसाब से समायोजित किया गया है और अमेरिकी राष्ट्रपति इस क्षेत्र में रहते हुए भी आसियान ना जाकर भारत में आ रहे हैं, इसलिए आज हम मीडिय में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, आसियान शिखर सम्मेलन 5-7 सितंबर 2023 भारत के सहूलियत से समय समायोजित करना बड़ी उपलब्धि है।
साथियों बात अगर हम 43 वें आसियान शिखर सम्मेलन जकार्ता इंडोनेशिया की करें तो, यह बैठक दक्षिण चीन सागर में बढ़ते तनाव के बीच हो रही है, जब चीन ने कुछ आसियान सदस्यों द्वारा विवादित बड़े हिस्से पर दावा करते हुए एक नया नक्शा जारी किया, जिसके बाद इन राज्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। सिंगापुर के प्राइम मिनिस्टर समिट में एक डेलिगेशन को लीड करेंगे और ब्लॉक के नेता दूसरे मुद्दों के अलावा म्यांमार क्राइसिस पर चर्चा करेंगेआसियान का पूरा नाम दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ है। इसकी स्थापना 8 अगस्त, 1967 को बैंकॉक, थाईलैंड में हुई थी। आसियान के फाउंडिंग फादर्स में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड शामिल है, जिन्होंने आसियान डिक्लरेशन (बैंकॉक डिक्लरेशन) पर हस्ताक्षर करके इसकी स्थापना की थी। आसियान को क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है। भारत और अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं। आसियान-भारत संवाद संबंध 1992 में क्षेत्रीय साझेदारी की स्थापना के साथ शुरू हुआ, जो दिसंबर 1995 में पूर्ण संवाद साझेदारी और 2002 में शिखर स्तर की साझेदारी में बदल गया। भारत और आसियान के बीच संबंध 2012 में रणनीतिक साझेदारी तक पहुंच गए। आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति और व्यापक हिंद-प्रशांत के लिए इसके दृष्टिकोण का केंद्र है। बता दें पीएम गुरुवार को जकार्ता में एक शिखर बैठक में 10 देशों के समूह आसियान के साथभारत के संबंधों की प्रगति की समीक्षा करेंगे। समूह के नेताओं के साथ पीएम की बातचीत में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन के साथ भारत के व्यापार एवं सुरक्षासंबंधों को मजबूत करने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है। आसियान-भारत शिखर सम्मेलन पिछले साल दोनों पक्षों के बीच संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने के बाद पहला शिखर सम्मेलन होगा। मीडिया में आया कि दोनों पक्ष समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए एक नई पहल की शुरुआत कर सकते हैं। पीएम पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे जो आसियान भारत शिखर सम्मेलन की समाप्ति के तुरंत बाद होगा। आसियान के सदस्य देशों और भारत के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण रूप से मजबूत हुए हैं, जिसमें व्यापार और निवेश के साथ-साथ सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पीएम 20वें आसियान - भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन मे भाग लेंगे।।पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन आसियान देशों और इसके आठ साझेदार देशों के नेताओं के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दो पर विचार विमर्श का अवसर होगा।
साथियों बात अगर हम चीन के अंदाज पर आसियान समिट को देखें तो, इस सम्मेलन में खासतौर पर एशियाई क्षेत्र में चीन की दादागीरी को रोकने पर मंथन होगा। चीन दक्षिण चीन सागर में अपना दबदबा बनाने के लिए सागरीय क्षेत्र के छोटे देशों पर अपना रौब दिखाता है। उसकी अकड़ ढीली करने को लेकर विचार मंथन आसियान समिट का खास मुद्दा रहेगा। साथ ही म्यांमार में हो रही हिंसा पर भी विचार मंथन होगा। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की अगुवाई में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के नेता इस साल जब अपने आखिरी शिखर सम्मेलन के लिए एकत्रित होंगे, तो वे म्यांमा के हिंसक गृह युद्ध, विवादित दक्षिण चीन सागर में नई घटनाओं और अमेरिका चीन के बीच लंबे समय से चल रही शत्रुता जैसे मुद्दों से घिरे हुए होंगे। ये ऐसे मुद्दे हैं जिसका निकट भविष्य में कोई समाधान मुश्किल नजर आ रहा है।
साथियों बाद अगर हम चीन द्वारा जारी किए गए मानचित्र को देखें तो, चीन बनाम अमेरिका के, आसियान का सम्मेलन तब हो रहा है जब चीन की ओर से जारी अपने आधिकारिक नक्शे को लेकर इलाके में काफी तनाव है। इस नक्शे में चीन ने उन इलाकों को अपना दिखाया है, जिस पर भारत ही नहीं पूर्वी एशिया के कई देशों को भी ऐतराज है। दक्षिणी चीन सागर लंबे समय से वैश्विक स्तर पर तनाव की वजह रहा है क्योंकि यह एक बेहद अहम व्यापारिक मार्ग है। अमेरिकी नेता और विश्लेषक इसे अपना प्रभाव बढ़ाने के एक मौके के तौर पर देखते हैं क्योंकि नक्शे से नाराज देशों के साथ संबंध मजबूत किये जा सकते हैं। पूर्व सरकार में उप विदेश मंत्री ने पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र का प्रभार संभाला था, वह कहते हैं, एक तरह से चीन हमारा ही काम कर रहा है।हालांकि पिछले एक साल से बाइडेन सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान रूस के यूक्रेन आक्रमण पर रहा है लेकिन उन्होंने इस बात में कोई संदेह नहीं छोड़ा है कि चीन ही अमेरिकी विदेश नीति का सबसे प्रमुख मुद्दा है, उन्होंने घर और बाहर दोनों जगह यह बात बार-बार कही है कि वह चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना चाहते हैं। हाल ही में एक यूटा में एक आयोजन में तो उन्होंने चीन को टाइम बम बता दिया था, जो कभी भी फट सकता है. उन्होंने कहा, यह अच्छी बात नहीं है क्योंकि जब बुरे लोगों को कोई समस्या होती है तो वे बुरे काम करते हैं।
साथियों बात अगर हम अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारतीय दौरे को महत्व देकर आसियान समिट में नहीं जाने की करें तो,जो बाइडेन के आसियान देशों की बैठक में शामिल ना होने के फैसले से कुछ हलकों में नाराजगी देखी गयी है, क्योंकि इसी दौरान बाइडेन भारत और वियतनाम का दौरा कर रहे हैं, ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि बाइडेन आसियान बैठक में भी शामिल होंगे। इंडोनेशिया के पूर्व विदेश मंत्री कहते हैं, राष्ट्रपति इस क्षेत्र में होंगे और आसियान बैठक से गैरहाजिर रहेंगे, यह बात अपने आप में बहुत कुछ कहती है आगे कहते हैं,हम चाहे जितनी मर्जी शिकायत कर लें कि बड़े नेता हमारे यहां नहीं आ रहे हैं पर असल में यह अपनी ओर देखने का समय है। अगर आसियान ज्यादा प्रभावशाली नहीं बनेगा तो आने वाले नेताओं की संख्या घटती ही जाएगी।हालांकि वे मानते हैं कि आसियान फिलहाल दुनिया के बड़े नेताओं को यह समझाने में मुश्किलें झेल रहा है कि क्षेत्र में उसकी भूमिका और ज्यादा बड़ी होनी चाहिए। ऐसा तब है जबकि दस देशों के 65 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला यह क्षेत्र दुनियां की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आसियांन शिखर सम्मेलन 5-7 सितंबर 2023 - भारत की सहूलियत से समय समायोजित करना बड़ी उपलब्धि।अमेरिकी राष्ट्रपति भारत वियतनाम के दौरे पर होते हुए,आसियान बैठक में गैर हाजिर रहना, अपने आप में बहुत कुछ कहता है।आसियांन शिखर सम्मेलन में अमेरिका चीन के बीच रुतबा दिखाने पर खींचतान की संभावना को भारत ने रेखांकित करना होगा।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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