आओ भारत का नाम रोशन करें | #NayaSaveraNetwork


नया सवेरा नेटवर्क

  • हर भारतीय को अपनी परस्थितियों के अनुसार ढलने, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी होना ज़रूरी 
  • युवा शक्ति को अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचान कर , भारत का नाम रोशन करने में लगाएं- एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

गोंदिया- भारत में बड़े बुजुर्गों की कहावतें, वाणीयां अनमोल ख़जाने के मूल्य से भी बेशकीमती है, यदि हम उन्हें अपने जीवन में ढालने का संकल्प करें। साथियों देश में 135 करोड़ जनसंख्या में 65 प्रतिशत युवाओं की भागीदारी है और बुजुर्ग बहुत कम है। हालांकि अभी हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार बुजुर्गों का प्रतिशत धीरे-धीरे बढ़ रहा है, जिसका कारण स्वास्थ्य सेवाओं में भारी प्रगति और जीवनस्तर का उच्चता की ओर बढ़ने के कारण विशेषज्ञों ने बताया है, ऐसा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जानकारी आई हैं। साथियों बात अगर हम बुजुर्गों और हमारी बीती हुई पीढ़ियों की वाणीयों और कहावतों की करें तो,,एक और एक ग्यारह बंद है मुट्ठी तो लाख की खुल गई तो फिर ख़ाक की, दूसरों को छोड़ अपने आप को पहचान तू कितनी नायाब शक्ति है,, दूसरों के अवगुणों को नहीं उनके गुण उठाओ, अपनी कमजोरियों से डरो नहीं उनसे सीखो इत्यादि अनेक वाणीयां और कहावतें आज भी हम सुनते हैं पर अब समझ आया है कि हम इन वाणी और कहावतें पर चलकर उन्हें प्रैक्टिकल रूप से धरातल पर क्रियान्वयन करें। फिर देखो साथियों कैसे हमारी किस्मत बदलती है, हमारे किस्मत की कुंजी हमारे हाथ में है! बस! ज़रूरत है उस बंद ताले को खोलने की ट्रिक यानें कुंजी को अपनाने की जो हमारी देह में छिपी है, इसलिए ही बुजुर्गों ने कहा है अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचानो और उसे धरातल पर सकारात्मक क्रियान्वयन करो। 

साथियों बात अगर हम हमारी आंतरिक शक्तियों की करें तो सारा विश्व मानता है भारतीय बुद्धिमता का लोहा!! कितना मजबूत है!! साथियों हम 135 करोड़ भारतीय हैं अगर हर भारतीय अपने आंतरिक शक्ति को पहचाने तो रोज़गार के लिए भटकने के स्थान पर हम खुद ही रोज़गार सृजनकर्ता बनेंगे, अन्यों को रोज़गार देने में सक्षम होंगे!! बस! जरूरत है अपना टैलेंट पहचानने की क्योंकि मेरा दावा है कि हर भारतीय में कोई ना कोई टैलेंट जरूर है!! 

साथियों बात अगर हम जीवन जीने की कला की करें तो हमने अभी गंभीर महामारी कोविड-19 में जिस तरह परिस्थितियों से समझौता और स्थिति के अनुसार अपने को ढाले, एक लंबा और लॉकडॉउन में रहे, परिवार वालों को खोया,आर्थिक स्थिति ख़राब हुई परंतु हमने हिम्मत नहीं हारी!! कठिनाइयों को पार कर मज़बूत होकर आगे बढ़ रहे हैं। बस,यही बात! यही बात, अब भी हमें स्थिति के अनुसार अपने को ढालने की कला कायम रखनी है। 

साथियों बात अगर हम आत्मनिर्भर भारत के आत्मविश्वास की करें तो हम सबको एक साथ मिलकर मन में एक आत्मविश्वास का संकल्प लेना होगा कि, हम ज़रूर आत्मनिर्भर भारत बनाकर रहेंगे और हमने हर बार  स्वदेशी माल खरीदकर दिखा भी दिया कि हम जो ठानते वह कर सकते हैं,और अपने आंतरिक शक्तियों को पहचान कर उस ज्ञान और अंतर्दृष्टि का उपयोग भारत का नाम रोशन करने में और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में लगाना होगा।

साथियों बात अगर हम माननीय पूर्व उपराष्ट्रपति द्वारा एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी कहा,कि भारत को एक विशाल जनसांख्यिकीय लाभ का वरदान मिला है और हमें विभिन्न क्षेत्रों में देश की प्रगति को तेज़ करने के लिए विशाल मानव संसाधन क्षमता का पूरी तरह से दोहन करना चाहिए।उन्होंने कहा कि हमारे पास उच्च गुणवत्ता वाले जीवन जीने की इच्छा रखने वाले लोगों के साथ एक सक्षम, आत्मविश्वास और मजबूत राष्ट्र बनने का साझा उद्देश्य है। उन्होंने कहा, अगर हम सभी टीम इंडिया के रूप में काम करना शुरू कर दें और अपने राष्ट्र के विकास के लिए खुद को समर्पित कर दें, तो वह दिन दूर नहीं जब हम एक बार फिर से 'विश्वगुरु' के पद पर पहुंच सकते हैं। उन्होंने न केवल हमारे देश के लोगों के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए अपनी ताकत का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, हमें याद रखना चाहिए कि भारत तब चमकता है जब भारत के 135 करोड़ लोग इसके साथ चमकते हैं।पिछले 75 वर्षों में भारत की विभिन्न उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के निर्माण, बचाव और सुरक्षा प्रदान करने और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के अलावा, भारत ने शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराए हैं और शासनों को बदला है । उन्होंने कहा कि अन्य पुरानी सभ्यताओं के विपरीत, जो समय के साथ नष्ट हो गयीं, भारतीय सभ्यता अपने मूल्यों, संस्कृति, विरासत और परंपराओं के कारण विदेशी आक्रमणों के बावजूद बची रही। उन्होंने कहा कि भारतीय वसुधैव कुटुम्बकम की भावना में विश्वास करते हैं जिसका अर्थ है पूरी दुनिया एक परिवार है,और उन्होने हमेशा सार्वभौमिक भाईचारे का प्रचार किया है और दूसरों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की वकालत की है। यह उल्लेख करते हुए कि भारतीय सभ्यता ने हमेशा पूरी दुनिया की भलाई के लिए प्रार्थना की है, उन्होंने कहा कि अनादि काल से, भारत ने अपने ज्ञान, कौशल और प्रथाओं को दुनिया भर के साथ साझा किया है ताकि अन्य भी लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा,शून्य से योग तक, विभिन्न क्षेत्रों में भारत का योगदान, शेयर एंड केयर के नैतिक गुण के साथ, बहुत बड़ा रहा है। 

अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आओ भारत का नाम रोशन करें।हर भारतीय को अपनी स्थिति के अनुसार ढलने, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी होना ज़रूरी युवा शक्ति को अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचान कर , भारत का नाम रोशन करने में लगाएं।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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