बिहार में पुलिस की गोली | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
इंडियन नेशनल दारुल इस्लाम वाले बिहार की घटनाओं पर मौन क्यों हैं। कल बिजली माँगने गये आंदोलनकारियों पर सीधे गोली चलवा दी गई। क्या यही लोकतंत्र स्थापित करने के लिए यह नया गठजोड़ बना है। उन दो निरपराध की हत्या के दोषी नितीश को फाँसी की सजा होनी चाहिए। इतिहास में और आजाद भारत में जब जब देश में प्रदेश में कांग्रेस या कांग्रेस समर्थित सरकार रही है। तब तब यही देखने को मिला है।
चाहे सत्ता की खातिर नेहरू द्वारा लाखों लाशों पर व बहन बेटियों के बलात्कार पर नर्तन हो,इंदिरा गाँधी द्वारा हजारों ब्राह्मणों गो भक्तों की हत्या हो। चाहे हजारो सिखों की राजीव गाँधी द्वारा हत्या हो। चाहे मुलायम सिंह द्वारा हजारों कारसेवकों की हत्या हो। चाहे मनमोहन सिंह व राहुल सोनिया द्वारा अर्धरात्रि में आंदोलनरत सोई हुई जनता जिसमें स्त्री पुरुष बच्चे सब थे, उन पर लाठी चलवाकर लोक तंत्र और लोक की हत्या। चाहे बंगाल में ममता द्वारा नित चलायमान हो रही हत्या। चाहे राजस्थान में नित चलायमान हत्या बलात्कार हो। चाहे बिहार में जंगलराज हो आदि ए सब घटनायें कांग्रेस और उसके समर्थित सत्तासीनों के शासन में ही हुए हैं या हो रहे हैं। पर ये दोगले इंडियन नेशनल दारूल इस्लाम जो कि दोगलापंथियों का नया नाम व गठजोड़ बनकर आया है। उपरोक्त बातों पर कभी इतनी चीख पुकार नहीं किए न करते हैं।
कल जो बिहार में घटना घटी उसपर इन दोगलापंथियों के मुँह से बोलने की व नितीश सरकार को बरखास्त करवाने की हिम्मत नहीं हो रही। इनको बस भाजपा शासित राज्यों में ही लोकतंत्र खतरे में दिखता है।
यदि इन दोगलापंथियों के कुकृत्य को लिखा जाने लगे तो संविधान में उतने पन्ने नहीं होंगे जितने इनके कुकृत्य हैं। सदैव देश व देशवासियों के साथ इन दोगलापंथियों ने धोखा ही दिया है लालीपाप थमा कर। कल जो साईकिल से चलता था,आज जहाज से चल रहा है। यहाँ तक उनके कुत्ते मर्सडीज बीएम डब्ल्यू से चल रहे हैं। नेता बनते ही इतने अमीर झट से बन गये। मतलब साफ है ए सभी लोग देश व देशवासियों को लूटकर ही कुबेर बने हैं। इनके घरों में देखो कोई नौकरी नहीं कोई बिजनेश नहीं कोई उद्यम नहीं। कहाँ से इतना धन आया। तो जाहिर है। ए लोकतंत्र के हितैसियों ने लोक के खून पसीने की गाढ़ी कमाई को लूटकर ही अर्जित किया है। अब सत्ता से हट गये हैं कमाई कम हो गई है, लूटने के अवसर बंद हो गये हैं तो नंगा नृत्य कर रहे हैं। लोकतंत्र खतरे में है। संविधान खतरे में है यह बता रहे हैं। जबकी खतरे में तो ए दोगलापंथी भ्रष्टाचारी और लुटेरे है।
ये लोग अभी भी जनता को मूर्ख समझने की गलती कर रहे हैं|पर भूल रहे हैं तब और अब में बहुत अंतर आ गया है|जनता सबको और सब देख सुन समझ रही है| हाँ कुछ मूर्ख हैं जो लालच में अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं|टमाटर और आलू में व्यस्त हैं। जिनकी बदौलत ये दोगलापंथी कहीं कहीं सफल हो जा रहे हैं|पर अधिकतर अब फेल ही हो रहे हैं और होते रहेंगे|अब जनता देश को गौरव के साथ उच्च स्थान पर देखना चाहती है|इसलिए उसे ही चुनेगी जो देश को गौरव दिलवा रहा है|जो देश को उच्च स्थान पर स्थापित करने के लिए दिन रात लगा है|उसका नाम नहीं काम बोलता है|तभी जनता उसको ही चुनकर ला रही है|और लायेगी भी|
हाँ यदि दोगलापंथिये अन्याय को अन्याय कहना सीख लें तो शायद जनता उनके बारे में सोंचे|मगर जिसके जींस में दोगलापंथी हो वो कैसे सही राह चुन सकता है|आज मणिपुर पर जितनी हो हल्ला किए हैं संसद सड़क हर जगह चीख पुकार मचाये हैं|कल बिहार की घटना पर उसका आधा भी कर दिए होते तो शायद जनता इन सबको नोटिस करती|काला कपड़ा पहनकर सिर्फ मणिपुर मणिपुर करने से और अविश्वास प्रस्ताव लाने से जनता का विश्वास नहीं जीत पायेंगे|जनता का विश्वास जीतना है तो हर उस जगह पर विरोध जरूरी हैं जहाँ हत्या बलात्कार भ्रष्टाचार हो रहा है|अपनी सरकार की गलतियों पर भी यही विरोध यही प्रदर्शन जिस दिन करने लगेगें|जनता का विश्वास तभी जीत पायेंगे|डबल स्टैंड से नुकसान ही कर रहे हैं अपना|
एक जैसे कृत्य पर दो विचार न समाज के लिए हितकर है न राजनीति के लिए और न ही खुद के लिए हितकर है|यदि मणिपुर में निंदनीय कृत्य हुआ है तो वैसा ही कृत्य बिहार में हो रहा है|बंगाल राजस्थान में भी हो रहा|एक पर तांडव और दूसरे पर मौन यह विचार यह व्यवस्था ठीक नहीं है|निंदा विरोध हर कुकृत्य का होना चाहिए|न की लाभ हानि देखते हुए|आज कई नेता महिला सुरक्षा को लेकर बहुत दुखी और चिंतित दिखाई दे रहे हैं|जब अपना शासन था तो यही कहते थे बच्चे हैं गलती हो जाती है|तब वो अपराधी बच्चे थे|निर्भया जैसी विभत्स घटना जिसके शासन में हुई हो वह भी महिला सुरक्षा पर ज्ञान बाँटता फिर रहा है|लोकतंत्र की जिसके शासन में धज्जियाँ उड़ी वह लोकतंत्र की दुहाई दे रहा है|जिसका नेता राष्ट्रपति को राष्ट्रपत्नी कहता हो|वह लोकतंत्र सिखा रहा है|एक कांग्रेस की प्रखर प्रवक्ता ने यह कह कर कांग्रेस छोड़ दी की इस पार्टी में महिलाओं के साथ छेड़खानी होती है|हालांकि वही महिला दूसरे दरवाजे से आज फिर कसीदे पढ़ रही हैं जो कि उनकी मजबूरी है|वो अपने आका से इतर जा भी नहीं सकती|ऐसी कांग्रेस पार्टी महिला सुरक्षा को लेकर चिंतित है तो हँसी आना जरूरी हो जाता है|
आज एक नेता प्यार की दुकान खोलकर बैठे हैं| इनका प्यार भाजपा शासित राज्यों के सिवा कहीं नहीं दिखता| आतंवादियों के लिए आँखों से आँसू बनकर बह जाता है| मगर कल बिहार में दो युवक पुलिस और बिहार सरकार की गोली का शिकार हो गये, पर यहाँ इनका प्यार भी मर गया| और जबान तो गल ही गई| ये कैसी प्यार की दुकान खोले हैं| जिसमें पिछड़ों का अपमान देशभक्तों से नफरत बिकती है| यह कैसी प्यार की दुकान है जिसमें आतंकवादी देशद्रोहियों के लिए आँसू है| और आम जनता के लिए अंगार|
लेखक- पं. जमदग्निपुरी
![]() |
AD |
![]() |
AD |
![]() |
Advt |