जौनपुर: अब्बास का मातम है, वफादार का मातम.......... | #NayaSaveraNetwork




नया सवेरा नेटवर्क

अब्बास जैसा भाई कोई दूसरा नहीं: डॉ.कल्बे रज़्ाा

आठ मोहर्रम का निकला ऐतिहासिक जुलूस, हुई मजलिस

नगर सहित ग्रामीण इलाकों में निकला जुलजनाह अलम व ताबूत

जौनपुर। शिराज- ऐ- हिन्द-जौनपुर के आठवीं मोहर्रम का ऐतिहासिक जुलूस गुरूवार को नाजि़म अली खान के इमामबाड़े से अंजुमन हुसैनिया के नेतृत्व में निकाला गया। जिसमें शामिल शहर की 20 से ज्यादा मातमी अंजुमनों ने नौहा व मातम कर कर्बला के शहीदों को नज़राने अक़ीदत पेश किया। आठ मोहर्रम को जनपद के सभी इलाकों में मजलिसों एवं जुलूस का आयोजन हुआ। गुरूवार को नगर का ऐतिहासिक आठ मोहर्रम का जुलूस अपने रिवायती अंदाज में कोरोना काल के बाद मोहल्ला नसीब खां मंडी स्थित इमामाबाड़ा नाजिम अली खां से उठा,जो अटाला मस्जिद स्थित इमामबाड़ा शेख अलताफ हुसैन पर पहुंचकर समाप्त हुआ। दिल्ली से आये मशहूर वैज्ञानिक जाकिर डॉ. कल्बे रजा नकवी ने मजलिस को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया में इमाम हुसैन का गम इस समय मनाया जा रहा है। इमाम हुसैन ने सन 61 हिजरी में कर्बला के मैदान में उस समय के सबसे बड़े आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाकर न सिर्फ  अपना भरा पूरा परिवार कुर्बान कर दिया बल्कि आज जो इस्लाम जिंदा है वो उनकी शहादत के दम पर ही है। उन्होंने कहा कि कर्बला में हजरत इमाम हुसैन ने अपने छह माह के बच्चे जनाबे अली असगर की शहादत पेश करने से भी पीछे नहीं हटे। हजरत इमाम हुसैन ने अपने जवान बेटे अली अकबर की शहादत पेश की तो तेरह साल के भतीजे जनाबे कासिम की जान भी दीने इस्लाम को बचाने में कुर्बान कर दी। उन्होंने कहा कि यजीदी हुकूमत ने जुल्म की इंतहा पार करते हुए छोटे छोटे बच्चों को पानी तक पीने से रोक रखा था यही वजह थी कि दसवी मुहर्रम को जब इमाम हुसैन जंग के मैदान में गये तो उन्हें घोड़े पर सवार करने वाला भी कोई नहीं था तब उनकी जनाबे जैनब ने उन्हें घोड़े पर सवार कर अलविदा किया था। इमाम हुसैन जब जंग की ओर रवाना हो रहे थे उनकी चार वर्षीय बेटी जनाबे सकीना घोड़े के पांव से लिपट कर रो रही थी जिसकी वजह से घोड़ा आगे नहीं बढ़ रहा था जिसके बाद इमाम हुसैन ने घोड़े से उतरकर अपनी बेटी सकीना को गले से लगाकर कहा कि आज से तुम अपनी फुफी के साथ रहना मुझे अपने नाना का दीने इस्लाम बचाने के लिए मैदान में जाना है। इमाम हुसैन ने जंग के दौरान हजारों यजीदी फौजों को हलाक किया तभी आकाशवाणी हुई कि ऐ नफ्से मुतमइना पलट आ अपने रब की तरफ मैं तुझसे राजी और तू मुझसे राजी। ये आकाशवाणी सुनकर जैसे ही इमाम हुसैन ने तलवार को अपनी मियान में रखा यजीदी फौजों ने उन्हें घेर कर हमला किया और शहीद कर दिया। जिसके बाद अंजुमन हुसैनिया बलुआघाट के नेतृत्व में शबीहे अलम जुलजनाह और गहवारे अली असगर बरामद हुआ। साथ ही नगर की 20 से ज्यादा मातमी अंजुमनों ने नौहा मातम करने लगी। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ अटाला मस्जिद तक पहुँचा यहां इमामबाड़ा शेख इल्ताफ हुसैन से तुर्बत को निकालकर गहवारे अली असगर व जुलजनाह से मिलाया गया। इस मिलन को देखकर लोगों की आंखों से आंसू छलकने लगा। जुलूस पुन: इमामबाड़ा नाजिम अली खां में जाकर समाप्त हुआ। जुलूस में हज़ारो अजादार मौजूद थे। जुलूस का संचालन परवेज हसन ने किया। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस बल तैनात रहा। वहीं सातवीं मुहर्रम की देर रात्रि नगर के सिलेखाना स्थित मेंहदी का जुलूस निकाला गया जो अपने कदीम रास्ते से होता हुआ इमामबाड़े पहुंचा जहां शबीहों को एक दूसरे से मिलाया गया। इस दर्दनाक मंजर को देखकर लोगों की आंखों से आंसू छलक उठे। संचालन मेंहदी रजा एडवोकेट ने किया। वहीं बलुआघाट स्थित मेंहदी वाली जमीन पर देर रात्रि मजलिस को मौलाना सईद हसन हालमुकीम ईरान ने खिताब किया जिसके बाद अंजुमन हुसैनिया के नेतृत्व में मेंहदी अलम व दुलदुल का जुलूस निकाला गया जो अपने कदीम रास्तों से होता हुआ शाही किला पहुंचा यहां मौलाना शान की तकरीर के बाद मीर जामिन अली मरहूम इमामबाड़े से तुरबत निकालकर मिलन हुआ। जुलूस इमामबाड़ा मद्दू में जाकर समाप्त हुआ।

*जौनपुर की मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. लक्ष्मी सिंह की तरफ से नया सबेरा परिवार को स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं| Naya Sabera Network*
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*श्री गांधी स्मारक इण्टर कालेज समोधपुर जौनपुर के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. रणजीत सिंह की तरफ से नया सबेरा परिवार को सातवीं वर्षगांठ की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | Naya Sabera Network*
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