जम्मू-कश्मीर के डोडा में लगे भूकंप के झटके, रिक्टर पैमाने पर 4.9 तीव्रता | #NayaSaveraNetwork


नया सवेरा नेटवर्क

डोडा/जम्मू. जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में सोमवार सुबह 4.9 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि सुबह पांच बजकर 38 मिनट पर भूकंप आया, फिलहाल भूकंप से किसी तरह का नुकसान होने की खबरें नहीं हैं.

एनसीएस ने बताया कि भूकंप का केंद्र डोडा क्षेत्र में जमीन से 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था. अधिकारियों के अनुसार, डोडा में इस साल जून से लेकर अब तक 12 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए है, भूकंप की तीव्रता हर बार अलग-अलग रही है. जिले में 13 जून को 5.4 तीव्रता के भूकंप के कारण मकानों समेत कई इमारतों में दरारें पड़ गई थी. इससे पहले 17 जून को भी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसका केंद्र कश्मीर के डोडा में था. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.4 थी.

क्यों आता है भूकंप, क्या है इसके पीछे की वजह

दरअसल धरती के भीतर कई प्लेटें होती हैं जो समय-समय पर विस्थापित होती हैं. इस सिद्धांत को अंग्रेजी में प्लेट टैक्टॉनिकक और हिंदी में प्लेट विवर्तनिकी कहते हैं. इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी परत लगभग 80 से 100 किलोमीटर मोटी होती है जिसे स्थल मंडल कहते हैं. पृथ्वी के इस भाग में कई टुकड़ों में टूटी हुई प्लेटें होती हैं जो तैरती रहती हैं.

सामान्य रूप से यह प्लेटें 10-40 मिलिमीटर प्रति वर्ष की गति से गतिशील रहती हैं. हालांकि इनमें कुछ की गति 160 मिलिमीटर प्रति वर्ष भी होती है. भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है.

देश में एक नहीं कई भूकंप जोन

भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग है. भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर चार हिस्सों जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 में बांटा गया है. जोन 2 सबसे कम खतरे वाला जोन है तथा जोन-5 को सर्वाधिक खतनाक जोन माना जाता है. उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं. उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से तथा दिल्ली जोन-4 में आते हैं. मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं.

कैसे लगता तीव्रता का अंदाज

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र ( एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. सैंकड़ो किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है. धरती में दरारें तक पड़ जाती है। अगर धरती की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है. जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर सुनामी उठती है. 

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