जौनपुर: संजीव हत्याकांड को अंजाम देने वाले विजय के घर पहुंची पुलिस | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
सीओ के नेतृत्व में पुलिस ने परिजनों से की पूछताछ
किशोरी का अपहरण करने के मामले में जा चुका है विजय जेल
कोरोना काल में भी कोविड का मुकदमा हो चुका है दर्ज
केराकत जौनपुर। लखनऊ कोर्ट में बड़े ही दुस्साहसपूर्ण तरीके से मुख्तार अंसारी गिरोह के शार्प शूटर संजीव जीवा हत्याकांड को अंजाम देने वाले हत्यारोपी विजय कुमार यादव पुत्र शामा यादव निवासी ग्राम सुल्तानपुर थाना केराकत के बारे में सूचना मिलते ही पुलिस सक्रिय हो उठी। सीओ गौरव कुमार शर्मा, कोतवाल जयप्रकाश यादव व सरकी पुलिस चौकी प्रभारी विनोद कुमार अंचल पुलिस बल के साथ हत्यारोपी के घर सुल्तानपुर गांव पहुंच गए। सीओ श्री शर्मा ने विजय कुमार यादव के क्रिमनल हिस्ट्री को खंगाला। सीओ श्री शर्मा ने बताया कि उक्त हत्यारोपी विजय कुमार यादव के खिलाफ आजमगढ़ जनपद के देवगांव कोतवाली में वर्ष 2016 में एक किशोरी का अपहरण करने, बलात्कार सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज है। उक्त मुकदमें वह जेल भी जा चुका है, तथा वर्ष 2020 में उसके खिलाफ कोविड का भी एक मुकदमा दर्ज है। उसके पिता शामा यादव के अनुसार वह बी काम किया है, तीन माह से लखनऊ में एक प्राइवेट कंपनी में पानी आपूर्ति करने वाली पाइप का पलंबर का कार्य करता है। अभी गत 11 मई को वह बीरमपुर गांव निवासी अपने मामा के लड़के की शादी में शामिल होने आया था। दो दिन बाद वह फिर लखनऊ चला गया। उसके बाद से उसका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया। तबसे आज तक उससे परिवार के किसी सदस्य से बातचीत नहीं हुई। विजय कुमार यादव अपने पिता शामा यादव व माता निर्मला देवी के चार संतानों में दूसरे नंबर का पुत्र है, इससे बड़ा एक भाई स्वतंत्र यादव 30, छोटे दो भाई सुन्दरम यादव 15, व सत्यम यादव 11 वर्ष है। बड़ा भाई कहीं बाहर कमाने गया है। पिता शामा यादव घर पर खेती करते हैं। विजय कुमार यादव के माता पिता व अन्य भाइयों को उसके द्वारा लखनऊ में हत्या की घटना को अंजाम देने की जानकारी उस समय हुई। जब सीओ व कोतवाल उसके घर पहुंच कर छानबीन करने लगे। शामा यादव को अपने पुत्र विजय कुमार यादव द्वारा दिये गये हत्या काण्ड को अंजाम पर यकीन नहीं हो रहा है। उसके अनुसार वह क्यों किस कारण से हत्या को अंजाम दिया है समझ नहीं पा रहा है। फिलहाल पूरे मामले की जांच कर रही स्थानीय पुलिस पल पल लखनऊ आला अधिकारियों को अवगत करा रही। वकील के भेष में जिस तरह विजय यादव ने एक दुर्दांत अपराधी को मौत के घाट उस समय उतारा जब वह न्याय के मंदिर में पेशी के लिए आया था।