जौनपुर: सुख गई पंचवटी, नवग्रहों पर लगा ग्रहण | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
- ब्लॉक परिसर में एक वर्ष पूर्व रोपे गए थे पौधे, जिम्मेदारों की अनुरक्षण के अभाव
- में वाटिका पर लगा 'साढ़े साती'
चेतन सिंह
बरसठी, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र में हर साल लाखों पौधे लगने के बाद भी वन क्षेत्र न बढ़ने की बड़ी वजह पौधरोपण के बाद देखभाल न होना है। इसका उदाहरण देखने के लिए दूर जाने की जरूरत नही है। बीते 2022-23 सत्र में बरसठी विकास खंड परिसर में मनरेगा और राजवित्त योजना के अंतर्गत लगभग तीन लाख रुपए की लागत से बने पंचवटी वाटिका, नछत्र वाटिका एवं नवग्रह वाटिका को विकसित करने के लिए आध्यात्मिक व औषधीय पौधों का रोपण किया गया था। इसका उद्देश्य था कि, दुर्लभ प्रजाति के पौधों की उपलब्धता रहेगी तथा जरूरतमंद उसे औषधि के रूप में भी इस्तेमाल कर विभिन्न बीमारियों से निजात पा सकेंगे।
साथ ही मानव जीवन पर प्रभाव डालने वाले सभी नौ ग्रहों को शांत करने के लिए तरह-तरह के फूल व पौधे लगाए गए थे। वाटिका से किसी का दर्द तो नहीं दूर हुआ और न ही किसी की ग्रह दशा शांत हुई, लेकिन तत्कालीन अधिकारियों के स्थानांतरण के एक वर्ष बाद ही जिम्मदारो के उदासीनता एवं अनुरक्षण के अभाव से वाटिका पर ही शनि की साढ़े साती लग गई। औषधीय पौधों की जगह जंगली झाड़-झंखाड़ घास उग आई। अब पंचवटी सूखने के कगार पर पहुच चुकी है और नवग्रह वाटिका पर भी ग्रहण लग चुका है।
मालूम हो कि, एक वर्ष पूर्व तत्कालीन बीडियो सर्वेशमोहन श्रीवास्तव अपने तकनीकी सहयोगियों से जिले के एकमात्र ब्लॉक में सभी ग्रहों के प्रतीक स्वरूप पीपल, बरगद, गूलर, पलास, पाकड़, शमी, दुब, केला, आँवला समेत विभिन्न प्रजातियों के फूलों व औषधीय पौधों का रोपण किया था। इसी के पास पंचवटी वाटिका में भी औषधीय पौधे रोपे गए थे। सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड लगाए गए और लोहे की जाली से विधिवत घेराबंदी भी की गई। कुछ दिन खाद-पानी देने के साथ ही समय-समय पर पौधों की निराई-गुड़ाई भी किया गया। जिसका तत्कालीन सीडीओ रहे अनुपम शुक्ला एवं मनरेगा उपायुक्त भूपेंद्र सिंह ने शुभारंभ करते हुए ब्लॉक कर्मियों की भूरी-भूरी प्रशंसा किया था। तथा उन्होंने जिले के अन्य ग्राम सभाओं में भी इस तरह के वाटिकाओं का निर्माण कराने के लिए विचार व्यक्त किया था।
गुरुवार को राष्ट्रीय सहारा ने वाटिका की हालत का निरीक्षण किया तो पता चला कि, वर्तमान में आए नए अधिकारियों ने इसकी देखरेख कराने में तनिक भी दिलचस्पी नहीं ली। अब हालत यह है कि, शनि व मंगल समेत अन्य ग्रहों को शांत कर सुख प्रदान करने वाली नौ ग्रह वाटिका एवं पंचवटी में पीपल के अलावा और कोई पेड़ नही है। वही नवग्रह तथा नछत्र वाटिका में पहचान कराने वाले संकेतक बोर्ड केवल खड़े है।
नवग्रह के नौ और पंचवटी के पांच समेत अन्य पौधे लगभग सूखने के कगार पर है अधिकतर पौधों के तो निशान तक नही दिख रहे। आपको बता दे कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'संत' व 'सूबेदार' की जिम्मेदारी एक साथ निभाते हुए हर जिले में पंचवटी व नवग्रह वाटिका स्थापित कराने का आदेश पर्यावरण सुधार के साथ ही ग्रहों पर प्रभाव डालने वाले पौधे मानव जीवन को सुख और सौभाग्य प्रदान करने के लिए दिया है। लेकिन बरसठी में जिम्मेदारों द्वारा ही उनके आदेशो का किस तरह माखौल उड़ाया जा रहा है इसे ब्लॉक परिसर में बने वाटिकाओं को देखकर सहज ही लगाया जा सकता है।
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