महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का विचित्र अंदाज | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
- पुरस्कार के बाद पद का तोहफा
मुंबई। महाराष्ट्र सांस्कृतिक कार्य मंत्री का अकल्पनीय निर्णय महाराष्ट्र सांस्कृतिक कार्य विभाग के अंतर्गत कार्यरत महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी का गठन १६जनवरी २०२३को किया गया। कार्याध्यक्ष के साथ २७ सदस्यों की बड़ी टीम की घोषणा की गई, जबकि अकादमी के कार्यालय में १४-१५ लोगों के बैठने की ही व्यवस्था है।
अकादमी ने कोविड काल के दो वर्षों सहित वर्ष २०२०-२१, २०२१-२२और २०२२-२३के पुरस्कारों के लिए दिसंबर २०२२में आमंत्रित की गई प्रविष्टियों का मूल्यांकन करते हुए २३मार्च२०२३ को समारोह आयोजित कर पुरस्कार वितरण कर दिया।असली कहानी अब शुरू होती है। वर्ष २०२२-२३ की नाटक विधा के लिए रजत पुरस्कार से पुरस्कृत श्रीमती प्रियंका ठाकुर को पुनर्गठन में ६अप्रैल को अकादमी का उपाध्यक्ष बना दिया गया।
१०दिन पहले २५००० रूपए का पुरस्कार और बाद में उपाध्यक्ष का पद (लाभ और पद दोनों) १० दिन के अंतराल पर कैबिनेट मंत्री मंगलप्रभात लोढा की पत्नी मंजू लोढ़ा को भी इनके साथ में उपाध्यक्ष बना दिया गया। यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि पिछली फडणवीस सरकार के दौरान मंजू लोढ़ा को इसी अकादमी द्वारा जीवन गौरव पुरस्कार से भी नवाजा गया था। जब मंत्रियों के परिवार को ही पद दिया जाना है तो सरकार मूल्य, मर्यादा और पारदर्शिता की बात क्यों करती है? महाराष्ट्र सांस्कृतिक कार्य विभाग की यह कौन-सी संस्कृति है? समझ से परे है।
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