नया सवेरा नेटवर्क
सेवईं से लेकर बढ़ी कपड़ों की डिमांड
जौनपुर। रमजान का पवित्र महीना समापन की ओर है। ईद आने में अब महज एक ही दिन शेष बचे है। गौरतलब हो कि एक महीने का रोजा खत्म होने पर ईद का त्योहार मनाया जाता है। ईद का मुसलमानों को बड़ी शिद्दत से इंतजार रहता है। रमजान के आखिर में चांद दिखाई देने पर ईद का एलान किया जाता है। चांद दिखने के बाद भारत में 21 या 22 अप्रैल को ईद का पर्व मनाया जाएगा। अभी रमजान का पवित्र महीना चल रहा है। मुसलमान पवित्र महीने में रोजा रख खुदा की इबादत कर रहे हैं। रमजान महीने के 28 दिन से अधिक दिन बीत गए हैं। अब ईद में महज एक ही दिन ही बचे हैं। ईद की खरीदारी के लिए बाजारों में चहल पहल बढ़ गई है। नए कपड़ों के साथ सेवइयों की खरीदारी हो रही है। जिले में अनेक जगहों पर सेवइयां बनाने का काम जारी है। इसी कारण करीब एक महीने पहले से सेवइयां बनाने का काम शुरू कर दिया जाता है। बता दें ईद के पावन मौके पर अकेले जनपद में ही करीब 10 से 12 टन सेवइयों की खपत होती है। थोक और फुटकर सैकड़ों कारोबारी हैं। ईद को देखते हुए कपड़ा दुकान, चप्पल, जूता, श्रंगार दुकानों पर महिलाओं की जमकर भीड़ उमड़ रही है। युवा भी कपड़े खरीदने के लिए दुकानों पर पहुंच रहे हैं। चांद का दीदार होने पर रात भर बाजार गुलजार रहेंगे। ईद में सेवईयां के बिना त्यौहार फीका-फीका सा लगता है। ईद के त्यौहार में लोग मेहमानों को सेवर्इं परोस कर मेहमान नवाजी कर उनका स्वागत करते हैं। इस बार बाजार में अनेकों तरह की सेवइयां मौजूद है जिन्हें खरीद कर लोग घर में ले जाकर त्यौहार की तैयारियां कर रहे हैं। सब्जी मंडी, कोतवाली चौराहा, नवाब युसूफ रोड, चहारसू चौराहा समेत अन्य जगहों पर सेवर्इंया की बिक्री जोरों पर है। सेवई के संबंध में एक बुजुर्ग स्थानीय दुकानदार ने बताया कि भारत में सेवई की शुरु आत कैसे हुई इसका तो इतिहास बता पाना मुश्किल है लेकिन कहा जाता है कि इसका सबसे पहले उपयोग दिल्ली के लाल किले की एक शाही दावत में किया गया था जिसे सबसे पहले बहादुर शाह जफर की थाली में परोसा गया था। सेवई का इस्तेमाल यूं तो कई प्रकार से किया जाता है लेकिन खासतौर पर ईद पर बनाई गई मीठी सेवई के बिना ईद का त्यौहार अधूरा है। इस समय बाजार में आठ प्रकार की सेवई मौजूद है जिसमें शरबती, कीमामी, रूमाली, संमाली, खरमई, मदनपुरा पराठा, सूतफेनी, जरदहिया सेवई प्रमुख है। डबल जीरो सेवई की इस समय काफी डिमांड है जो अत्यंत बारिक होती है। बाजार में सादा व भुनी हुई सेवई भी उपलब्ध है और कीमामी स्पेशल सेवई की भी काफी डिमांड है। डिब्बाबंद ख्वाजा गरीब नवाज सेवई जिसकी कीमत डिब्बा सहित रू. 160 एवं डिब्बाबंद अब्दुल सत्तार सेवई की कीमत रू. 190 प्रति किलो ग्राम है।
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