नया सवेरा नेटवर्क
कहां गए
किशोरावस्था से दौड़ने लगे
मिट्टी को पाव तले रौदने लगे ,
गद्दारों का करेंगे हम खात्मा
इस आकांक्षा से वर्दी पाने का संघर्ष हम करने लगे ।
हर परीक्षा को हमने हृदय से दिया
पूरे अंक पाकर पास भी किया ,
जंग प्यार की हो या फिर देश की
हमने सदा जीत अपने पक्ष में किया ।
फिर एक दिन आया वो जिसकी
उम्मीद लगाए बैठे थे,
सीने पर इंडियन आर्मी का प्रतीक
और दिल में तिरंगा फहराये बैठे थे।
शुरू हुईं जंग में हमने खूब बंदूके चलाई
छक्के छूट गए दुश्मन के जब हमने की लड़ाई,
झुके नहीं हम लड़ते लड़ते सवेरा किया
अपने देश को रौशन करके दुश्मन के घर में अंधेरा किया ।
बहुत जंग में जीत मिली
कुछ में मिली शिकस्त,
हमने कभी किसी से जलन न की
रहे अपने कर्म में मस्त।
फिर गद्दारों ने हमे गलत संदेश दिया
गलत जगह हमे भेज दिया ,
हमने भी जब तक सांस थी लड़ाई की
फिर अपने जीवन की लालिमा को समेट लिया ।
परिवार मे दुःख के बादल छा गए
हम तिरंगे में लिपट के आ गए,
हर आंखों में नमी दिखाई दी
सबने मुझे अंतिम विदाई दी।
– रितेश मौर्य
जौनपुर , उत्तर प्रदेश
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