जहाॅं धर्म होता है, वहाॅं प्रगति होती है : प्रो. आलोक कुमार सिंह | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

जौनपुर। 'व्यक्ति नहीं आदर्श महत्वपूर्ण होते हैं। जब तक व्यक्ति के आदर्श नष्ट नहीं होते तब तक मनुष्य निर्जीव नहीं होता। भारत गरीबी, भुखमरी, अकाल को झेल कर भी जिंदा है और भारतीय सनातन संस्कृति लगातार अपने महत्व को बनाए हुए है। इसके पीछे यही कारण है कि भारत का आदर्श जिंदा है।' उक्त वक्तव्य तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जौनपुर के राष्ट्रीय सेवा योजना के सप्त दिवसीय विशेष शिविर के चौथे दिन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आलोक कुमार सिंह ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि रोम मिट गया, क्योंकि उसका उद्देश्य था शक्ति के माध्यम से साम्राज्य का विस्तार करना और यूनान भी मिट गया, क्योंकि उसका उद्देश्य था बुद्धि से दुनिया पर शासन करना, किंतु भारत लगातार प्रगति पथ पर अग्रसर है, क्योंकि भारत का स्वर है-धर्म और जहाॅं धर्म होता है, वहाॅं प्रगति होती है।

इससे पूर्व प्रथम सत्र में शिविरार्थियों ने स्वच्छता कार्यक्रम चलाया। स्वच्छता कार्यक्रम के अंतर्गत आसपास की गंदगी को फावड़े से साफ किया गया तथा कूड़ा करकट को कूड़ेदान में डाला गया। इस सत्र में शिविरार्थियों को संबोधित करती हुईं हिंदी विभाग की डॉ.अंजना सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना हमें सामूहिक रूप से कार्य करना सिखाती है।साथ-ही-साथ एनएसएस के माध्यम से हमारे अंदर अनुशासन एवं नेतृत्व क्षमता का विकास होता है। कार्यक्रम में बोलते हुए वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी प्रो.राजीव रतन सिंह ने कहा स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि हमारे देश में अनेकों संप्रदाय हैं और यह आवश्यक है, क्योंकि जितने संप्रदाय होंगे लोगों को उन्हें चुनने में उतनी ही सुगमता होगी।

कार्यक्रम अधिकारी एवं हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.महेंद्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि कोई भी कार्य करने के लिए निष्ठा की अति आवश्यकता होती है, यदि हमारे मन में कार्य के प्रति निष्ठा नहीं है तो वह कार्य होना संभव नहीं है। हमें एकाग्र होकर के अपना काम करना चाहिए। कार्यक्रम में कार्यक्रम अधिकारी एवं रसायन विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.विपिन सिंह ने कहा कि आज के युग में बुद्धि और विवेक दोनों की आवश्यकता है। बिना विवेक के बुद्धि का कोई महत्व नहीं है। गणित विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं कार्यक्रम अधिकारी डॉ.जितेश सिंह ने बताया कि हमें लक्ष्य निर्धारित कर कार्य करना चाहिए और लक्ष्य की पूर्ति के लिए जी-जान से प्रयास करना चाहिए।


राष्ट्रीय सेवा योजना की छः इकाइयों के स्वयंसेवकों ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे। निबंध लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस शिविर में कुल 300 शिविरार्थियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में अंतिमा पाल,सुष्मिता यादव, आस्था सिंह, प्रिंसी दत्त, स्वाति देवी, सुमन यादव, वेदिका पाल, अंशिका सिंह, आशुतोष त्रिपाठी, रवि शर्मा, राहुल यादव, रवि पाल,विकास कुमार,हर्ष सिंह,राजन सिंह, विशाल वर्मा आदि ने गीत एवं कविता प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन मनोविज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर एवं कार्यक्रम अधिकारी डॉ.माया सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ.महेंद्र कुमार त्रिपाठी ने किया।



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