होली आई ! | #NayaSaveraNetwork
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होली आई !
तन -मन पे छाई जवानी रे,
होली देखो आई रे !
होली है !!
इधर भी टोली है,उधर भी टोली,
ऊँच-खाल होई जाई बना मत भोली।
भर-भर के मारो पिचकारी रे,
होली देखो आई रे !
तन -मन पे छाई जवानी रे,
होली देखो आई रे !
होली है !!
भीगी जवानी, बनेगी कहानी।
कोरे बदन पे चढ़ेगा ऊ पानी।
लेबै न कोई रगड़ाई रे,
होली देखो आई रे !
तन -मन पे छाई जवानी रे,
होली देखो आई रे !
होली है !!
तोहरे पिचकारी में रंग नहीं बाटे,
मारे ला डुबकी भले घाटे-घाटे।
करा न तू ऐसी ठिठोली रे,
होली देखो आई रे !
तन -मन पे छाई जवानी रे,
होली देखो आई रे !
होली है !!
कितना तू खेलबा भरी नहीं मनवाँ,
काढ़ लेबा लागत तू हमरो परनवाँ।
अब न करा जोराजोरी रे,
होली देखो आई रे !
तन -मन पे छाई जवानी रे,
होली देखो आई रे !
होली है !!
रामकेश एम. यादव
(रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक), मुंबई
आयल फगुनवाँ घरे -घरे!
आयल फगुनवाँ घरे -घरे,
चोलिया भीगै तरे -तरे। (2)
होली है........
बाजै लै ढोल औ बाजै मृदंग,
उड़े ग़ुलाल लोग पीते हैं भंग।
कोई न होश, न कोई बेहोश,
मारे पिचकारी खड़े -खड़े।
आयल फगुनवाँ घरे -घरे,
चोलिया भीगै तरे -तरे। (2)
होली है.....
गोल-गोल दुनिया घूमत बा गोरी,
लग जाई झटका उमर बा कोरी।
जयपुर कै लहंगा,बनारस कै साड़ी,
सरकी सड़िया धीरे-धीरे।
आयल फगुनवाँ घरे -घरे,
चोलिया भीगै तरे -तरे। (2)
होली है.....
लबालब रंग से भरी बा ई बल्टी,
करबू नदानी तो होई जाई गलती।
खइलू तू कोउवा, खाई के मुसरवा,
लूटा बाहर आके गले -गले।
आयल फगुनवाँ घरे -घरे,
चोलिया भीगै तरे -तरे। (2)
होली है.....
रामकेश एम. यादव (कवि, साहित्यकार),मुंबई
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