नया सवेरा नेटवर्क
खुटहन जौनपुर। धरती पर जब जब पाप और अहंकार से प्रेरित होकर राक्षसी प्रबृत्तियों का अत्याचार बढ़ा है, तब मानव और जगत के कल्याण के लिए भगवान अनेक रु पों में अवतार लेकर अहंकार का नाश कर धर्म की रक्षा करते रहे हैं। उक्त बातें पं हरिचयन शांडिल्य ने डिहियां गांव में आयोजित सगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के दौरान उपस्थित लोगों को ई·ार की महिमा का वर्णन करते हुए कही। उन्होंने ने कहा कि भगवान अपने भक्तो की पुकार सुनकर नंगे पांव दौड़े चले आते हैं। सभी को धर्म संगत कार्य करना चाहिए। जो व्यक्ति धर्म का अनुसरण करता है परमात्मा हमेशा उसके साथ खड़ा रहता है। धर्म परायण व्यक्ति को जीवन में कभी दैहिक दैविक और भौतिक तीनों कष्ट नहीं आते। उन्होंने कहा कि व्यक्ति जैसा कार्य करता है परमात्मा उसे वैसा ही फल देता है, इसलिए व्यक्ति को हमेशा अच्छे कार्य करना चाहिए। मोह माया और लालच करने वाला व्यक्ति सांसारिक कष्टों के भवसागर में फंसा रहता है। अहंकार, मोहमाया, व्यसन, कामवासना वाले व्यक्ति को ई·ार की भक्ति प्राप्त नहीं होती है। कथाकार ने आगे कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा कि अहंकार ही मेरा आहार है। इसलिए अहंकार रहित अपने धर्म के अनुसार कार्य करो फल इच्छा मत करो। जो जैसा करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। भागवत कथा में उर्मिला देवी, ईशनारायण मिश्र, अवकाश प्राप्त कमिश्नर लालजी मिश्र, विद्यापति सिंह, रामपाल सिंह, फूलचंद तिवारी,परमसुख सिंह, ह्मदय नारायण सिंह, राजनाथ मिश्र, श्रीराम मिश्र, राजीव तिवारी आदि लोग मोजूद रहे। आयोजक सुशील तिवारी ने आगंतुको का स्वागत व आभार प्रकट किया।
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