नया सवेरा नेटवर्क
वाराणसी। संत रविदास जयंती मनाने के बाद संत निरंजनदास सोमवार को जालंधर लौट गए। गुरु महाराज को विदा करने के लिए हजारों लोग उमड़ पड़े थे। संत रविदास मंदिर से लेकर सनबीम स्कूल, भगवानपुर के मोड़ तक भक्तों की कतार लगी रही।
रविदासिया धर्म के अनुयायी विदाई के समय भावुक हो उठे। सीरगोवर्धनपुर से गुरु महाराज के वाहन के पीछे-पीछे दर्जनों वाहनों पर संगत भी सवार हो गई। सैकड़ों भक्त उन्हें स्पेशल ट्रेन में बैठाने के लिए बनारस रेलवे स्टेशन तक गए। उनके प्रस्थान के बाद देश-दुनिया से जुटे अनुयायियों की वापसी का सिलसिला भी शुरू हो गया। एक दूसरे से गले मिल कर अगले साल पुन: मिलने के वादे के साथ विदा ली। यहां से रवानगी का क्रम अगले तीन दिनों तक चलेगा। अपने घरों की ओर लौट रही संगत को रास्ते के लिए भोजन भी मंदिर ट्रस्ट की ओर से दिया जा रहा है। मेला क्षेत्र में साफ सफाई का काम एक बार फिर शुरू हो गया। सुरक्षा के लिए फोर्स की तैनाती भी अगले तीन दिनों तक रहेगी।
- रविदासिया धर्म को मिले संवैधानिक दर्जा
संत रविदास जयंती पर देश विदेश से आए ट्रस्ट और संगठन के पदाधिकारियों ने सोमवार को बैठक की। बैठक में रविदासिया धर्म को संवैधानिक दर्जा दिलाने और जनगणना में धर्म में रविदासिया धर्म का कॉलम भी शामिल कराने का प्रस्ताव पारित किया गया। इस संबंध में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर अनुरोध किया जाएगा। देश की सभी राज्य सरकारों को इस संबंध में संत रविदास मंदिर चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से पत्र भेजा भी जा चुका है। बैठक में रविदासिया धर्म के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संत मनदीप दास, अध्यक्ष सुखदेव वाघमारे, महेंद्र पाल, सतपाल विर्दी, निरंजन चीमा, वीरेन्द्र दास बब्बू आदि प्रमुख रूप से रहे।
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