भारत महान ! | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
तुम नफरतों से कितना नुकसान कर गए,
हिन्दुस्तान थे क्यों पाकिस्तान बन गए।
मोहब्बत की मिट्टी का नाम है हिन्दुस्तान,
मगर दिये तुम्हारे घाव निशान बन गए।
दौलत की हो बारिश ऐसा खुदा करे,
लेकिन तू जख्मों की खान बन गए।
तरक्की पसंद मुल्क है भारत महान,
तू दुनिया के लिए क्यों तूफान बन गए।
गिरेबान में झाँकना मुनासिब न समझे,
इसीलिए गलतियों के मचान बन गए।
हम नहीं चाहते तेरी आँख में आँसू आए,
लेकिन सब जानकर अनजान बन गए।
जंग के शोलों से हमें दुनिया है बचानी,
मगर तू क्यों जंग के मैदान बन गए।
फाँके में नप रही है तेरे यहाँ जिन्दगी,
हम वहीं दुनिया के लिए वैक्सीन बन गए।
मेरा पागलपन है या अपनेपन की खुशबू,
क्यों नहीं तो तू फिर से रसखान बन गए।
सूरज-चाँद अगर मिलें तो बुराई क्या है,
मगर अपने ही घर में क्यों डॉन बन गए।
रामकेश एम.यादव (कवि,साहित्यकार),मुंबई