सरिसवा नदी को प्रदूषणमुक्त बनाने को लेकर रक्सौल नगर के स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर डॉ. शलभ ने बीरगंज महानगरपालिका के मेयर राजेशमान सिंह को सौंपा ज्ञापन पत्र | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

  • बीरगंज नगर का सीवेज जिन स्थलों पर नदी में गिरता है वहाँ एसटीपी लगाने और जिन उद्योगों के द्वारा अपशिष्ट नदी में गिराये जाते हैं उनमें ईटीपी अनिवार्य किये जाने की मांग

सरिसवा सिर्सिया नदी को प्रदूषणमुक्त बनाने को लेकर रक्सौल नगर के स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर डॉ. (प्रो.) स्वयंभू शलभ ने बीरगंज महानगरपालिका कार्यालय में मेयर राजेशमान सिंह से मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन पत्र सौंपा। इस दौरान बीरगंज महानगरपालिका के सद्भावना दूत व नेपाल भारत सहयोग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक बैद भी उपस्थित रहे। मेयर श्री सिंह ने सरिसवा नदी में अपशिष्ट डालने वाले उद्योगों पर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की अनिवार्यता सुनिश्चित करने की दिशा में कारगर कदम उठाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। डॉ. शलभ ने इस नदी के प्रदूषण को लेकर सेंट्रल वाटर कमीशन, नमामि गंगे, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट भी पेश की।  

ज्ञापन पत्र में डॉ. शलभ ने उल्लेख किया है कि भारत नेपाल सीमा से होकर गुजरने वाली सरिसवा / सिर्सिया नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए जल्द से जल्द ठोस उपाय किया जाना आवश्यक है। इस नदी के प्रदूषण के कारण पर्यावरण और जन जीवन पर खतरा बढ़ता जा रहा है। कभी जीवनदायिनी कहलाने वाली यह नदी नाले में तब्दील हो गई है। सीमावर्ती क्षेत्र के भूगर्भ जल में भी इसका दुष्प्रभाव आने की प्रबल आशंका है। 

आगे कहा है कि बीरगंज महानगरपालिका का म्युनिसिपल सीवेज जिन स्थलों पर सरिसवा नदी में गिरता है वहाँ एसटीपी लगाया जाना जरूरी है। बारा और पर्सा जिले में स्थित उद्योगों के जहरीले रासायनिक अपशिष्ट जो नदी के पानी में गिराए जा रहे हैं उनका शोधन ईटीपी के द्वारा ही किया जा सकता है। यदि सभी उद्योग अपने प्लांट की उत्सर्जन क्षमता के अनुसार ट्रीटमेंट प्लांट लगाएं और नियमित रूप से संचालित करें तो इस समस्या का अंत हो सकता है। यहाँ मुख्य समस्या उन जहरीले अपशिष्टों को ट्रीट करने की है जिन्हें अपने साथ लेकर यह नदी नेपाल से भारत में प्रवेश करती है और बूढ़ी गंडक के रास्ते गंगा तक को प्रदूषित करती है। इस प्रमुख स्रोत को स्वच्छ किये बगैर गंगा को भी स्वच्छ नहीं किया जा सकता।

बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पेश करते हुए डॉ. शलभ ने बताया कि भारत में सरिसवा नदी को प्रदूषित नदियों की प्राथमिकता कैटेगरी III में चिह्नित किया गया है। भारतीय क्षेत्र में यह नदी कहीं भी औद्योगिक प्रदूषण से प्रभावित नहीं होती। सरिसवा नदी की वाटर क्वालिटी रिपोर्ट यह संकेत देती है कि यह नदी बिहार में प्रवेश करने से पहले ही पूर्णतया प्रदूषित हो जाती है। भारी मात्रा में रासायनिक अपशिष्टों का भार लेकर यह नदी रक्सौल होकर सुगौली में सिकरहना (बूढ़ी गंडक) में मिलती है जो आगे चलकर खगड़िया के पास गंगा में मिल जाती है।

आगे बताया कि इस नदी के किनारे हजारों महिलाएं छठ पूजा करती हैं। छठ पूजा के समय कुछ दिनों के लिए नदी में अपशिष्ट डालना बंद कर दिया जाता है लेकिन फिर स्थिति जस की तस हो जाती है। ऐसा वर्षों से होता चला आ रहा है। यह एक गंभीर सवाल है कि जो नदी छठ पूजा के समय साफ हो जाती है उसकी स्वच्छता को हमेशा के लिए बरकरार क्यों नहीं रखा जा सकता।

इस नदी को बचाने के लिए डॉ. शलभ ने बीरगंज महानगरपालिका द्वारा पर्सा और बारा जिले में स्थित सभी चिह्नित उद्योगों में ट्रीटमेंट प्लांट की अनिवार्यता सुनिश्चित करा कर इस समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में कदम उठाने की मांग की।


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