खुद्दारी पे आँच आने न पाए! | #NayaSaveraNetwork

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नया सवेरा नेटवर्क

दीमाग  पर   अंधेरा  जमने  न  पाए,   

यादों का मेला  ओझल होने न पाए।  

ख्वाहिशों  का  कोई अंत  नहीं भाई,    

माता-पिता की हबेली बिकने न पाए।  


एक जहां है  इस  जहां के और आगे, 

उस जहां का धन  राख  होने न पाए।  

अपने हुनर से दो पैसे जरूर कमाओ,    

तेरे  उसूलों  का  फूल  झरने  न पाए।     


बनों  तो  सादे  दिल  का  इंसान  बनों,     

आज के जमाने की हवा लगने न पाए।  

जिन्दगी एक  साज है,  इसे छेड़ा करो,  

तन्हाई  की छाया  इसे  डसने  न पाए।  


तुम  काले  हो या  गोरे, इसे  छोड़ दो,  

मन के आईने में सूरत बिगड़ने न पाए।  

मत तोड़ो रिश्ता,गिला किससे करोगे?

आँख  का  तराजू  कभी टूटने न पाए।  


मत निभाओ तुम अपने जीने की रस्म, 

देखो  खुद्दारी  पे  आँच आने  न  पाए।  

वक्त की  शाख  लचलती है तो  लचके,  

बदन की सिलवट पे दाग लगने न पाए।


रामकेश एम.यादव (कवि,साहित्यकार) मुंबई

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