भारतीय प्रतिष्ठा की वैश्विक गूंज | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

  • आवाज़ की एकता-उद्देश्य के लिए एकता
  • वॉइस आफ दि ग्लोबल साउथ दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में स्पष्ट भावना स्थापित 
  • दुनियां के गरीब वह विकासशील देश जिसे कूटनीति भाषा में ग्लोबल साउथ कहते हैं, भारत की अगुवाई में दम और ताक़त फ़िर दिखा: एडवोकेट किशन भावनानी 

गोंदिया। वैश्विक स्तरपर भारत की प्रतिष्ठा का ग्राफ दिनों दिन बहुत तेजी से बढ़ रहा है, जिसे देखकर पूरी दुनिया हैरान है कि आज के युग में ऐसा कुदरत के करिश्मे से नहीं बल्कि अपनी विकास की ज़िद्द, कुशल नेतृत्व, रणनीति रोडमैप, 25 वर्षों का मिशन, 280 करोड़ हाथों का कमाल, भ्रष्टाचार का पलायन, ईमानदारी की विस्तारवादी नीति सहित अनेक ऐसे गट्स हैं, जो विकास की गति को इतनी तेज़ गति से कीर्तिमान स्थापित करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। अभी 12-13 जनवरी 2023 को 125 देशों की उपस्थिति में भारत के नेतृत्व और मेज़बानी में वॉइस ऑफ दि ग्लोबल साउथ दो दिवसीय शिखर सम्मेलन सफ़लतापूर्वक संपन्न हुआ और भारत के कंधों पर दुनिया की बड़ी आबादी की आवाज बुलंद करने की जिम्मेदारी निभाने की स्पष्ट भावना का उदय भी हुआ, जिसके बल पर दुनिया के गरीब विकासशील देश जिसे कूटनीतिक भाषा में ग्लोबल साउथ कहते हैं, इसमें भारत की ताकत और दमखम दिखा। सभी की एक साथ एक राय से स्पष्ट भावना का रुख दिखा जिसे भारत अपनी अध्यक्षता में जी-20 के मंचों पर उठाकर दुनिया को एक नई दिशा देने की ओर अग्रसर है। वैसे भी भारतीय प्रतिष्ठा की गूंज आजकल हर वैश्विक मंचों पर दिख रही है, जो हमारे लिए बहुत गौरव की बात है। 

साथियों बात अगर हम ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन से उभर कर आई बातों की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार, भारत के विदेश सचिव ने शुक्रवार को कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन को दुनियाभर से मजबूत और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन का विषय एकता की आवाज, उद्देश्य की एकता थी। इसमें कुल 125 देशों ने हिस्सा लिया। इसमें कैरिबियन और लैटिन अमेरिका के 29, अफ्रीका के 47, यूरोप के सात देश और एशिया के 31 देश शामिल हैं। उन्होंने एक विशेष ऑनलाइन ब्रीफिंग के दौरान शिखर सम्मेलन में वैश्विक भागीदारी को इन्फोग्राफिक्स के माध्यम से दिखाया, कि भारत उन देशों के साथ करीबी संपर्क में रहा है, जो जी-20 के सदस्य हैं। शिखर सम्मेलन के दौरान भाग लेने वाले नेताओं और मंत्रियों द्वारा रखे गए विचारों और सुझावों को भारत बहुत महत्व देता है। भारत इन विचारों, इन प्राथमिकताओं, वैश्विक दक्षिण देशों की चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय मंचों के माध्यम से और निश्चित रूप से हमारे जी -20 अध्यक्षता के दौरान शामिल करने के लिए सबसे मजबूत प्रयास करेगा।उन्होंने कहा कि इस शिखर सम्मेलन ने भारत को व्यापक साझेदारी का नया मार्ग तैयार करने का अवसर प्रदान किया। शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं और मंत्रियों के विचारों और उनके सुझावों को भारत बहुत महत्व देता है।भारत की जी20 अध्यक्षता पहली ऐसी जी-20 अध्यक्षता होगी, जो विकासशील देशों की भावनाओं और विचारों का प्रतिबिंब होगी।उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन ने भारत को विकासशील देशों की प्राथमिकताओं की दिशा में अधिक सहयोग का एक नया मार्ग तैयार किया है। उन्होंने विकासशील दुनिया की प्राथमिकताओं, दृष्टिकोणों और चिंताओं को प्रतिध्वनित करने के लिए आयोजित दो दिवसीय आभासी शिखर सम्मेलन के समापन के बाद  कहा कि एक स्पष्ट भावना थी कि ग्लोबल साउथ उन घटनाक्रमों से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहा है, जिन्हें बनाने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी, और यह भी नहीं है कि इन्हें कैसे संबोधित किया जाना चाहिए। 

साथियों बात अगर हम इस सम्मेलन के अवलोकन की करें तो, शिखर सम्मेलन में दक्षिण के देशों को एक साथ लाने और विभिन्न मुद्दों  पर उनके दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा करने की परिकल्पना की गई है। इस समिट के लिए 120 से अधिक देशों को आमंत्रित किया गया है। यह पहल पीएम के सबका साथ, सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास और भारत के वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत से प्रेरित है। यह शिखर सम्मेलन विकासशील देशों को प्रभावित करने वाली चिंताओं पर विचार विमर्श करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करने का भारत का प्रयास है। भारत यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ विचार-विमर्श में भागीदार देशों से उत्पन्न मूल्यवान जानकारी को विश्व स्तर पर उचित संज्ञान प्राप्त हो। 

साथियों बात अगर हम ग्लोबल साउथ सम्मेलन में माननीय पीएम के उद्घाटन और समापन समारोह में संबोधन के सारांश की करें तो पीआईबी के अनुसार, उन्होंने कहा, 'हमारा (ग्लोबल साउथ) भविष्य सबसे अधिक दांव पर लगा है। अधिकतर वैश्विक चुनौतियों के लिए ग्लोबल साउथ जिम्मेदार नहीं है, लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव हम पर ही पड़ता है।' उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा उसके विकास संबंधी अनुभव को 'ग्लोबल साउथ' के अपने भाइयों के साथ साझा किया है। पीएम ने कहा कि भारत इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता कर रहा है और स्वाभाविक है कि हमारा उद्देश्य 'ग्लोबल साउथ' की आवाज बुलंद करना होगा।ग्लोबल साउथ व्यापक रूप से एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देशों को कहा जाता है। इसका विषय, 'मानव केंद्रित विश्व के लिए विकासशील देशों की आवाज' है। मंत्री-स्तरीय समापन सत्र का विषय 'यूनिटी ऑफ वॉइस-यूनिटी ऑफ पर्पज़' होगा। शिखर सम्मेलन में दस सत्रों का आयोजन हुआ, जिनमें से चार सत्र बृहस्पतिवार को, जबकि छह सत्र शुक्रवार को हुए। पीएम ने कहा कि पिछले 3 साल बेहद कठिन रहे हैं। खासकर हम विकासशील देशों के लिए काफी मुश्किलों से भरा रहा है। कोविड-19 महामारी की चुनौतियों, ईंधन, उर्वरक और अनाज खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों और बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों ने हमारे विकास के प्रयासों को प्रभावित किया है। 

साथियों इससे पहले गुरुवार को उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पीएम ने युद्ध और आतंकवाद के कारण उत्पन्न विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का भी जिक्र किया। पीएम ने कहा कि दुनिया इस वक्त संकट की स्थिति से गुजर रही है। ये संकट कब तक रहेगा, इसकी भविष्यवाणी करना फिलहाल अभी मुश्किल है। अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों, कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं पर चिंता व्यक्त की।यह स्पष्ट है कि विश्व के समक्ष उपस्थित अनेक महत्वपूर्ण चुनौतियों पर विकासशील देशों का दृष्टिकोण समान है।यह न सिर्फ आज की चर्चा में, बल्कि इस समिट के पिछले दो दिनों के दौरान भी देखा गया। हम सभी दक्षिण-दक्षिण सहयोग के महत्व और सामूहिक रूप से वैश्विक एजेंडे को आकार देने पर सहमत हैं।स्वास्थ्य के क्षेत्र में, हम पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने, स्वास्थ्य सेवा के लिए क्षेत्रीय हब विकसित करने और स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों की गतिशीलता में सुधार करने पर जोर देते हैं। हम डिजिटल स्वास्थ्य उपायों को शीघ्रता से लागू करने की क्षमता के प्रति भी सचेत हैं।शिक्षा के क्षेत्र में, हम सभी व्यावसायिक प्रशिक्षण से जुड़ी अपनी सर्वश्रेष्ठ कार्य प्रणालियों को साझा करने और विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों में दूरस्थ शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग से लाभान्वित हो सकते हैं।बैंकिंग और वित्त के क्षेत्र में, डिजिटल तरीके से सार्वजनिक कल्याण का क्रियान्वयन विकासशील देशों में वित्तीय समावेशन को बड़े पैमाने पर और तेज गति से बढ़ा सकता है। भारत के अपने अनुभवों ने यह दिखाया है। हम सभी कनेक्टिविटी से जुड़े बुनियादी ढांचे में निवेश के महत्व से सहमत हैं। हमें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और विकासशील देशों को इन मूल्य श्रृंखलाओं से जोड़ने के तरीके खोजने की भी जरूरत है।विकासशील देश इस मान्यता को लेकर एकजुट हैं कि विकसित देशों ने जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी पर अपने दायित्वों को पूरा नहीं किया है।हम इस बात से भी सहमत हैं कि उत्‍पादन की प्रक्रिया में उत्‍सर्जन को नियंत्रित करने के अलावा यूज एंड थ्रो वाले उपभोग से हटकर पर्यावरण के और अधिक अनुकूल टिकाऊ जीवन शैली की ओर बढ़ना भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है।यह भारत की ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट  या लाइफ पहल के पीछे का केंद्रीय दर्शन है - जो सचेत उपभोग और चक्रीय अर्थव्यवस्था पर केन्द्रित है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय प्रतिष्ठा की वैश्विक गूंज ।आवाज की एकता उद्देश्य के लिए एकता। वाइफ ऑफ द ग्लोबल साउथ दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में स्पष्ट भावना साबित।दुनिया के गरीब व विकासशील देश जिसे कूटनीतिक भाषा में ग्लोबल साउथ कहते हैं,भारत की अगुवाई में दम और ताकत फ़िर दिखा है। 

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


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