भावनानी का व्यंग्यात्मक भाव| #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

भावनानी का व्यंग्यात्मक भाव 

पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं 


परिवार को वीआईपी सुविधा सुविधाएं देता हूं 

बच्चों को महंगी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाता हूं 

हरे गुलाबी बहुत शिद्दत से लेता हूं 

पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं 


समझदार समझते हैं भ्रष्टाचारी हूं 

मेरा ईमान धर्म हरे गुलाबी है 

पगार केवल दस हज़ार है 

पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं 


हर काम के लिए सौदेबाजी करता हूं 

बाहर दलालों का घेरा बैठा दिया हूं 

पूरी चैनल बनाकर भ्रष्टाचार करता हूं 

पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं 


आलीशान बिल्डिंग गाड़ी मेंटेन करता हूं 

परिवार सहित ब्रांडेड वस्तुएं यूज करता हूं 

सेठों से कम जीवन नहीं जीता हूं 

पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं 


कल किसने देखा है भावनानी का भाव रखता हूं 

विपत्तियां आएगीतो हरेगुलाबी से निपट सकताहूं 

सब जगह यही चलते हैं जानता समझता हूं 

पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं 

-लेखक- कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र।

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