कार्यक्रम में कलाम पेश करते शायर जेना आब्दी। |
नया सवेरा नेटवर्क
मदरसा खुर्शीदो ज़फ़र के इल्मी कांफ्रेंस में जुटे उलेमा व शिक्षाविद
जफराबाद जौनपुर। स्थानीय नगर पंचायत क्षेत्र के मोहल्ला नासही स्थित हुसैनिया इमामबाड़े में रविवार को एक इल्मी कान्फ्रेंस का आयोजन इदारा-ए-फ़लाहुल मोमनीन के तत्वाधान में किया गया। संगोष्ठी में जनपद के अलावा अन्य जनपदों से आये हुए उलेमा व शिक्षाविदों ने भाग लिया। जिसमें मौलाना अज़ीम बाकरी लखनऊ, मौलाना वसी हैदर आज़मगढ़, मौलाना अली अब्बास इलाहाबाद, मौलाना निसार अहमद, डॉ.सैयद कमर अब्बास, सहित अन्य लोगों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की शुरूआत मदरसे के शिक्षक मौलाना मोहम्मद हैदर ने तिलावते कलाम ए पाक की आयत से किया। जिसके बाद उन्होंनें हदीसे केसा पढ़ी। उसके बाद दीगर शायरों ने अपने अपने कलाम सुनाकर वाह वाही लूटी। जिसमें मुख्य रूप से शायर ज़मीर इलाहाबादी, शायर जेना आब्दी ने कलाम पेश किया। इल्मी कांफ्रंेस में एक के बाद एक उलेमाओं व शिक्षाविदों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। बतौर मुख्य अतिथि लखनऊ से आये मौलाना हसनैन बाकरी ने कार्यक्रम के अंत में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मां की गोद ही बच्चों की पहली दर्सगाह होती है जहां से बच्चा तालीम हासिल करता है। उन्होंने लोगो से अपील किया कि अपने अपने बच्चों को अपने गांव के मदरसों में भेज कर तालीम हासिल कराना चाहिए। बच्चों की शिक्षा में जितना मदरसे की जिम्मेदारी है उतनी ही जिम्मेदारी पढ़ने वाले बच्चों के मां-बाप की भी होती है। डॉ.सैयद कमर अब्बास ने अपने संबोधन में कहा कि हदीस में मिलता है कि मां की गोद से लेकर मौत की आग़ोश तक इंसान को इल्म हासिल करते रहना चाहिए चाहे इसके लिए चीन ही क्यों न जाना पड़े। इल्म हासिल कर इसे दूसरों को भी देना चाहिए इससे बड़ा सदका कोई नहीं हो सकता। माहनामा इस्लाह के प्रबंधक मेंहदी बाकरी की तरफ से लोगों को कैलेंडर भेंट किया गया। इस मौके पर डॉ. हैदर रज़्ाा आब्दी, तसलीम हैदर अंबारी, जाफर हसन एडवोकेट लखनऊ, असलम नकवी जायसी, जाफर रिजवी, असकरी, मोहम्मद अब्बास, अंजुम, इज़हार हुसैन, शकील, अहमद हुसैन, सैयद फैज़्ाान आब्दी, वसीम अहमद, दानिश, औसाफ हुसैन, रिज़वान, गुड्डू, कामिल, आकिल, शोएब व मदरसा खुर्शीदो ज़्ाफ़र के विद्यार्थी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। आयोजक मौलाना सैयद मोहम्मद हैदर अब्बास आब्दी ने आये हुए लोगों का आभार व्यक्त किया। संचालन मौलाना आजि़म बाकरी जौरासी ने किया।
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