नया सवेरा नेटवर्क
वाराणसी। विद्यापीठ ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को पुण्यतिथि पर नमन किया। परिसर स्थित शास्त्री जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि उनका विद्यापीठ का छात्र होना गौरव की बात हैं। छात्रों को इस समृद्ध परंपरा का निर्वहन करना चाहिए। वक्ताओं ने बताया कि लालबहादुर शास्त्री ने वर्ष 1925 में काशी विद्यापीठ से स्नातक की डिग्री ली थी। उस वक्त उस डिग्री को ‘शास्त्री कहा जाता था। इसके बाद से उन्होंने अपने नाम के साथ शास्त्री लगाना शुरू कर दिया। दर्शन उनका पसंदीदा विषय था। प्रख्यात दार्शनिक और भारतरत्न भगवानदास उनके गुरु थे।
प्रधानमंत्री बनने के बाद 6 फरवरी 1965 को वह विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बनकर आए। तब के अपने भाषण में उन्होंने अपने समय के विद्यापीठ के माहौल की चर्चा की और कहा कि उच्च शिक्षा के लिए किसी विदेशी भाषा की जरूरत नहीं। विद्यापीठ में श्रद्धांजलि सभा के दौरान कुलसचिव हरीशचंद, छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष प्रो. केके सिंह, प्रो. संजय, संपत्ति अधिकारी डॉ सूर्यनाथ सिंह, पीआरओ डॉ नवरत्न सिंह, डॉ चंद्रशेखर सिंह, डॉ बिजेंद्र प्रताप, प्रो निमिषा गुप्ता, अरिंदम श्रीवास्तव, प्रो राजेश कुमार मिश्र आदि थे।
दूसरी तरफ पं. रामप्रवेश चौबे महाविद्यालय व इंटर कॉलेज में संयुक्त रूप से ‘धरती के लाल लालबहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि मनाई गई। संस्था के प्रबंधक पं. सतीश चौबे शास्त्री जी की सादगी, सरलता और राष्ट्र सेवा पर प्रकाश डाला। धन्यवाद प्राचार्य डॉ पीके दुबे ने किया। इस दौरान अभिलाषा चौबे, मनीष चौबे, राहुल पांडे, अरुण मिश्रा, अरविंद चौबे, धनंजय चौबे आदि मौजूद रहे।
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