नया सवेरा नेटवर्क
अगर यह सीट पिछड़ा वर्ग के खाते में गई तो ढह जायेगा टंडन का किला
सभासद पद के आरक्षण पर स्थिति साफ होने के बाद कई दावेदार मायूस
महिला सीट होने पर दावेदार अपनी पत्नी तो कंही अपनी मां को चुनाव मैदान में उतारने का बनाया मन
हिम्मत बहादुर सिंह
जौनपुर। स्थानीय निकाय चुनाव का बिगुल बज गया है हलांकि अभी चेयरमैन पद के लिए आरक्षण की सूची जारी नहीं हुई है। इस पर शासन स्तर से मंथन चल रहा है। नगरपालिका परिषद एवं नगरपंचायत में अध्यक्ष पद के दावेदार टकटकी लगाये हुए हैं। सुगबुगाहट के आधार पर कुछ दावेदार युद्ध स्तर पर तैयारी में भी जुट गये हैं। स्थानीय निकाय चुनाव में सभासद पद के लिए आरक्षण की सूची जारी की जा चुकी है और इस पर जिला प्रशासन द्वारा आपत्ति मांगा गया है। इस सूची के जारी होने के बाद कई के सपने चकनाचूर हो गये तो कुछ ने आपत्ति भी दाखिल कर दिया है जिससे कि वे सभासद पद का चुनाव लड़ सकें। खासतौर पर सामान्य वर्ग के लोगों में आरक्षण को लेकर मायूसी साफ दिखाई पड़ रही है। नगर पालिका व नगर पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण की सूची पर अब लोगों की निगाहें गड़ी हुई हैं। तीन दिसंबर को नगर विकास मंत्री एके शर्मा द्वारा लखनऊ में प्रेस वार्ता कर आरक्षण की सूची जारी होने की खबर थी पर विद्युत कर्मचारियेां की हड़ताल के चलते कैबिनेट मंत्री को पत्रकार वार्ता स्थगित करनी पड़ी अब उम्मीद है कि जल्द ही एक दो दिन के अंदर इस आरक्षण की सूची जारी हो जायेगी। सूत्रों की मानें तो सूची बनकर तैयार है बस औचारिक घोषणा होना बाकी है। जिला मुख्यालय की नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष पद के आरक्षण की सूची पर लोगों में काफी चर्चाएं इस बात की बनी हुई है कि क्या इस बार यह सीट सामान्य होगी या फिर पिछड़ा या एससी में आरक्षित कर दी जायेगी क्योंकि तीन बार लगातार यह सामान्य सीट रही और 2017 में महिला सामान्य होने के चलते इस सीट पर दिनेश टंडन के परिवार का कब्जा बना हुआ है। ऐसे में लोगों को आशंका है कि यह सीट इस बार ओबीसी होगी। भाजपा की अगर बात की जाये तो दो दशक पूर्व इस सीट पर कब्जा बसपा ने कर रखा है और पार्टी इस सीट पर अपना कब्जा करने के लिए हर दांव अपनाने को तैयार है। यदि ओबीसी सीट होती है तो भाजपा सपा कांग्रेस व बसपा में नगर को नया चेयरमैन मिलेगा। यही हाल जिले की अन्य नगरपालिका परिषद व नगरपंचायत अध्यक्ष पद पर देखने को मिल रही है। नव सृजित नगर पंचायत रामपुर, गौराबादशाहपुर व कजगांव को पहली बार उसका निर्वाचित अध्यक्ष मिलेगा। ऐसे में इन तीनों सीटों पर भी आरक्षण का क्या खेल होगा लोगों की निगाहें गड़ी हुई हैं। फिलहाल जनता का कहना है कि आरक्षण आने के बाद ही स्थित साफ होगी। बताते चलें कि सभासद पद के आरक्षण की सूची जारी होते ही कंही खुशी कंही गम का माहौल है क्योंकि कुछ पुरूष प्रत्याशी पूरी तैयारी कर चुके थे लेकिन कुछ वार्डों में यह पद महिला के खाते में जाने के बाद कुछ दावेदार अपनी मां को तो कोई अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारने का मन बना चुके हैं। उनका मानना है कि वह पिच तो तैयार पहले ही कर चुके हैं सिर्फ क्रिकेट खेलना है। अब वह खेल में कितना पारंगत होते हैं और महिला प्रत्याशी को उतार कर जीत हासिल कर पाते हैं कि नहीं यह तो दूर की कौड़ी है।
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