कविता| #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
शासकीय कार्य में बाधा की कंप्लेंट कर दूंगा
कुर्सी मिली है तो ठास्के से बैठता हूं
अच्छों अच्छों को चमकाते रहता हूं
ऊपर तक पहुंच की धौंस जमाकर बोलता हूं
शासकीय कार्य में बाधा की कंप्लेंट कर दूंगा
अपने को जनता का मालक समझता हूं
हरे गुलाबी की डिमांड करता हूं
कोई कुछ बोलता है तो मैं बोलता हूं
शासकीय कार्य में बाधा की कंप्लेंट कर दूंगा
बड़े साहब ने सख़्ती का आईडिया दिया है
चक्करे खिलाकर अड़ाने का मंत्र दिया है
कानून या तावबाज़ी दिखाने वाले को बोलता हूं
शासकीय कार्य में बाधा की कंप्लेंट कर दूंगा
मिलीभगत नहीं किया तो मैं भी सुनता हूं
कोने में ट्रांसफर या सस्पेंड कर दूंगा
उसी तर्ज पर मैं भी जनता को बोलता हूं
शासकीय कार्य में बाधा की कंप्लेंट कर दूंगा
पत्रकार रिपोर्टर भी आते हैं पूछताछ करने
उनको भी सीधे से उत्तर नहीं देता हूं
जनता हित की बातें करते हैं तो बोलता हूं
शासकीय कार्य में बाधा की कंप्लेंट कर दूंगा
-लेखक - कर विशषज्ञ स्तंभकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र