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विषय -- सोच लो यह मनुज तन मिला किसलिए।
सोच लो यह मनुज तन मिला किस लिए।
कितने अच्छे शुभ कर्म तुमने किए।।
अशुभ ही कर्म तुम क्रोध में कर रहे।
सोच लो नेक कर्म तुमने क्या किए।।
सोच लो यह मनुज तन मिला किस लिए।।
देश जब भूख और प्यास से तड़पता रहा
सोच लो दीन दुखियों के लिए क्या किए।।
सोच लो यह मनुज तन मिला किस लिए।।
पालते हैं जो पशु अपना पेट खुद।
तुम तो मानव भला काम क्या फिर किए।।
सोच लो यह मनुज तन मिला किस लिए।।
एक भूखा रो रहा तुम विलासी रहे।
भूख की वेदना के लिए क्या किए।।
सोच लो यह मनुज तन मिला किस लिए।।
मौलिक सृजन
आशीष कुमार मिश्र उर्वर
कादीपुर, सुलतानपुर,उत्तर प्रदेश।
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