व्यंग्य | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
भ्रष्टाचार की आदत से लाचार हूं
घूसखोरी मामले में तीन बार निलंबित हो चुका हूं
ले दे कर छूटकर फ़िर पद पर लग जाता हूं
फिर वही चकरे खिलाकर माल सूत्तता हूं
भ्रष्टाचार की आदत से लाचार हूं
विभाग में भ्रष्टाचारके नामसे मेरी तूती बोलती है
बड़े से छोटे साहब मुझे पसंद करते हैं
हिस्सेदारी के दम पर उनका पसंददार हूं
भ्रषटाचार की आदत से लाचार हूं
मोहल्ले वाले की सब्जी आचार लाया हूं
उनके रेट में भी तिकड़म जमाया हूं
सौ देकर दो सौ लेने मज़बूर हूं क्योंकि
भ्रष्टाचार की आदत से लाचार हूं
समाज सेवा में भी अंटी मारने मज़बूर हूं
मार्केट से अधिक बिल बनाकर हेराफेरी करताहूं
हरे गुलाबी से सबको फंसानदार हूं क्योंकि
भ्रष्टाचार की आदत से लाचार हूं
अधिकारी हूं पर मंदिरों में भी पदाचारी हूं
वहां भी अपने पद का फायदा उठाता हूं
किसीको बतानामत हेराफेरी करनेको मलाईचारहूं
भ्रष्टाचार की आदत से लाचार हूं
लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र