लखनऊ: मिथिला चित्रकला आज किसी पहचान की मोहताज नहीं | #NayaSaveraNetwork

लखनऊ: मिथिला चित्रकला आज किसी पहचान की मोहताज नहीं  | #NayaSaveraNetwork


नया सवेरा नेटवर्क

वास्तु कला एवं योजना संकाय में तीन दिवसीय मिथिला चित्रकला प्रशिक्षण और कार्यशाला का समापन। 

मिथिला चित्रकार ने संकाय की दीवार पर मधुबनी शैली में बड़े भित्ती चित्र का किया निर्माण।  

लखनऊ। डा0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के वास्तु कला एवं योजना संकाय, टैगोर मार्ग के आर्ट एंड ग्राफ़िक विभाग की तरफ से मिथिला चित्रकला पर चल रहे तीन दिवसीय प्रशिक्षण और कार्यशाला का समापन बुधवार को हुआ। उक्त कार्यशाला के लिए मधुबनी (बिहार) से पधारे मिथिला विशेषज्ञ चित्रकार श्री अवधेश कुमार कर्ण के निर्देशन मे वास्तुकला महाविद्यालय के छात्रों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया और विशेषज्ञ के निर्देशन में सभी प्रत्येक प्रतिभागियों ( 80 छात्र ) ने एक-एक कृति का निर्माण भी किया। यह कार्यक्रम महाविद्यालय के डीन डा0 वन्दना सहगल की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो0 राजीव कक्कड़ ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण और कार्यशाला का समापन पर चित्रकार अबधेश कुमार कर्ण को संकाय की तरफ से प्रतीक चिन्ह और शॉल देकर सम्मानित किया। इस तीन दिवसीय कार्यशाला के दौरान कलाकार अवधेश कर्ण ने अपनी कृतियाँ प्रदर्शित कर मधुबनी चित्र कला की तकनीक,उत्पत्ति, विकास  एवं वर्तमान परिवेश में उपयोगिता से परिचित कराया। 




लखनऊ: मिथिला चित्रकला आज किसी पहचान की मोहताज नहीं  | #NayaSaveraNetwork


कार्य शाला के दूसरे दिन विशेषज्ञ अवधेश कुमार कर्ण के साथ मिलकर संकाय के कला शिक्षक गिरीश पाण्डेय, भूपेंद्र कुमार अस्थाना, रत्नप्रिया कांत एवं धीरज यादव और सभी प्रतिभागी छात्रों ने संकाय के (9×11 फुट चौड़ी) दीवार पर मधुबनी शैली में भित्ती चित्र का निर्माण किया जो बुधवार को पूरा हुआ। प्रशिक्षण के दौरान श्री कर्ण ने छात्रों को अनेकों मिथिला कला की बारीकियों से अवगत कराया। उसकी पारंपरिक शैलियों और तकनीकियों को भी बताया । बताया की पारंपरिक तरीके से मधुबनी की कलाकृतियों को तैयार करने के लिये हाथ से बने कागज़ को गोबर से लीप कर उसके ऊपर वनस्पति रंगों से पौराणिक गाथाओं को चित्रों के रूप में उतारा जाता है। कलाकार अपने चित्रों के लिये रंग स्वयं तैयार करते हैं और बाँस की तीलियों में रूई लपेट कर अनेक आकारों की तूलिकाओं को भी स्वयं तैयार करते हैं । लेकिन समय के बदलते परिवेश को देखते हुए अब रसायनिक रंगों और अनेकों कागजों को प्रयोग किया जाने लगा है। विषयों में मानव और देवी देवताओं के चित्रण के साथ साथ पशुपक्षी, पेड़ पौधे और ज्यामितीय आकारों को भी मधुबनी की कला में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है। ये आकार भी पारंपरिक तरीको से बनाए जाते हैं । तोते, कछुए, मछलियाँ, सूरज और चांद मधुबनी के लोकप्रिय विषय हैं। हाथी, घोड़े, शेर, बाँस, कमल, फूल, लताएँ और स्वास्तिक धन धान्य की समृद्धि के लिये शुभ मानकर चित्रित किये जाते हैं। यह चित्रकला अपने आप में अनोखा और अद्भुत प्रतीत होता है। मधुबनी चित्रकला आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। अपने अनूठे रंग रूप की वजह से देश-दुनिया में इस चित्रकला ने काफी शोहरत बटोरी है। मधुबनी चित्रकला की विशेषता उसकी सादगी और सजीवता है।

*जौनपुर टाईल्स एण्ड सेनेट्री | लाइन बाजार थाने के बगल में जौनपुर | सम्पर्क करें - प्रो. अनुज विक्रम सिंह, मो. 9670770770*
Ad



*नगर पंचायत कजगांव से अध्यक्ष पद के लिए सुयोग्य, कर्मठ एवं जुझारू प्रत्याशी नितीश सिंह 'रिक्की सिंह' पुत्र स्व. सुधांशु सिंह, निवासी माधाोपट्टी कजगांव जौनपुर, निवेदक समस्त सम्मानित क्षेत्रवासी मो. 9648409999 | #NayaSaveraNetwork*
Ad


*गहना कोठी भगेलू राम रामजी सेठ | प्रत्येक 5000/- तक की खरीद पर पाएं लकी ड्रा कूपन | ऑफर 1 अप्रैल 2022 से लागू | प्रथम पुरस्कार मारुति विटारा ब्रीजा | द्वितीय पुरस्कार मारुति वैगन आर | तृतीय पुरस्कार रॉयल एनफील्ड बुलेट | चतुर्थ पुरस्कार 2 पीस बाइक (2 व्यक्तिओं को) | पाँचवा पुरस्कार 2 पीस स्कूटी (2 व्यक्तिओं को) | छठवाँ पुरस्कार 5 पीस वाशिंग मशीन (5 व्यक्तिओं को) | सातवाँ पुरस्कार 50 मिक्सर | आठवा पुरस्कार 50 इण्डक्शन चूल्हा | हनुमान मंदिर के सामने कोतवाली चौराहा, जौनपुर 9984991000, 9792991000, 9984361313 | गोल्ड | जितना सोना उतना चांदी | ( जितना ग्राम सोना खरीदें उतना ग्राम चांदी मुफ्त पाएं) | डायमंड मेकिंग चार्जेस 100% Off | सदभावना पुल रोड नखास ओलंदगंज जौनपुर 9838545608, 7355037762, 8317077790*
Ad

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ