नया सवेरा नेटवर्क
भायंदर। भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे अधिक उर्वरा तथा समर्थकों की गढ़ कहे जाने वाला मीरा भायंदर, इन दिनों दो अलग-अलग खेमों में बंटा हुआ दिखाई दे रहा है। दोनों खेमे अपनी अपनी शक्ति प्रदर्शन तथा खुद को मीरा भायंदर का भाग्य विधाता बताने में जुटे हुए हैं। पार्टी के पदाधिकारी, कार्यकर्ता यहां तक की समर्थक भी अलग-अलग खेमों में विभक्त दिखाई दे रहे हैं। परंतु सच्चाई यह है कि यह सब कुछ, किम कर्तव्य बिमूड की स्थिति के चलते हो रहा है।
इसके लिए साफ तौर पर बीजेपी के शीर्ष नेता जिम्मेदार हैं। अब तक बीजेपी के जिन बड़े नेताओं ने मीरा भायंदर का दौरा किया, उन सभी ने दोनों गुटों में खुद का संतुलन बनाए रखा। दिखावे के लिए बीजेपी भले यह कहती रही है कि उसकी पार्टी में संगठन सर्वोपरि है।
मीरा भायंदर की ग्राउंड रिपोर्ट इससे हटकर बयां करती है। यहां संगठन हाथी के दांत की तरह खाने के और दिखाने के और, जैसा ही लगता है। वरना सारे पदाधिकारी संगठन के साथ होते। नाम न छापने की शर्त पर अनेक पदाधिकारियों ने बताया कि वह चाह कर भी संगठन के साथ नहीं रह पा रहे हैं। इसका कारण यह है कि पार्टी संगठन से हटकर टिकट देगी।
संगठन के साथ रहकर कल वे अलग-थलग पड़ जायेंगे। एक पदाधिकारी का कहना था कि अगर पार्टी खुले दिल और खुले मन से मीरा भायंदर विधानसभा चुनाव के लिए किसी एक का नाम घोषित कर देती तो संगठन के सारे लोग अपने आप उसके साथ हो जाते । देखा जाए तो इसके चलते मीरा भायंदर में बीजेपी को लगातार नुकसान हो रहा है। यह बात शीर्ष नेताओं को अच्छी तरह मालूम है। ऐसे में मीरा भायंदर शहर में बीजेपी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में लगातार भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
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