नया सवेरा नेटवर्क
- 1994 से मतदाताओं द्वारा चुना जाने लगा नगर पालिका का अध्यक्ष
- 1994 के पहले सभासद ही चुन लेते थे अपना नेता
- संध्यारानी श्रीवास्तव चुनी गईं थी पहली नगर पालिका अध्यक्ष
अंकित जायसवाल
जौनपुर। नगर पालिका परिषद जौनपुर के चुनाव को लेकर सभी पार्टियां मंथन कर रही हैं. इसके इतर पूरे शहर से लेकर जिले भर में सिर्फ दिनेश टंडन के नाम का डंका बज रहा है. लोग यह चर्चा कर रहे हैं कि आखिर टंडन को कौन परास्त करेगा? यह तो ऐसा हो गया जैसे रामायण में महाराज बालि को परास्त करने के लिए रणनीति बनानी पड़ी, क्योंकि उनको यह वरदान मिला था कि कोई भी उनसे युद्ध करेगा तो उनकी आधी शक्तियां उनमें चली जाएंगी. इसी तरह से जौनपुर नगर पालिका का निकाय चुनाव हो गया है.
दिनेश टंडन को हराने के लिए सभी माथापच्ची में जुटे हुए हैं लेकिन अभी तक कोई पार्टी किसी ठोस, मजबूत और टिकाऊ प्रत्याशी को ढूढ नहीं पायी है जो टंडन से टक्कर ले सके. बहरहाल नगर पालिका जौनपुर के इतिहास की बात करें तो 1994 से जब मतदाताओं द्वारा अध्यक्ष पद का चुनाव शुरू हुआ तो 1995 में संध्यारानी श्रीवास्तव पहली अध्यक्ष के रूप में चुनी गई और उन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल भी पूरा किया. इसके बाद 2000 में दिनेश टंडन ने दावेदारी ठोकी और नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर काबिज हुए. इस प्रकार वह दूसरे व्यक्ति हुए जो नगर पालिका परिषद के चुनाव में जीत दर्ज किए और अब तक उनके ही नाम का डंका बज रहा है.
- चेयरमैन की सीट छीनने में असफल रहे हैं सभी दल, निर्दल
नगर पालिका परिषद जौनपुर के चुनाव में दिनेश टंडन का विजय रथ रुका नहीं. वर्ष 2000 में अध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. अपने शुरूआती पांच साल में उन्होंने हर गली, हर मोहल्ले में अपने नाम का शिलापट्ट लगवा दिया अर्थात शहर का खूब विकास किया. यही वजह रही कि चुनाव में उन्होंने अपना नारा दिया 'विकास किया है, विकास करेंगे'. इसके बाद वह लगातार तीन बार नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर काबिज रहे. इस दौरान हुए चुनाव में सपा, भाजपा, कांग्रेस आदि दलों के व निर्दल प्रत्याशियों ने उनसे इस सीट को छीनने में भरपूर कोशिश की लेकिन सभी असफल साबित हुए.
- पत्नी माया टण्डन को भी बना दिया नगर पालिका जौनपुर का अध्यक्ष
लगातार 3 बार से चुनाव जीतने के बाद जब यह सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई तो भी दिनेश टंडन ने हार नहीं मानी. अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा. इस बार लोगों को लगा कि दिनेश टंडन की नैय्या डगमगाएगी लेकिन टंडन तो टंडन है उनका आत्मविश्वास इतना मजबूत रहा कि उन्होंने अपनी पत्नी माया टंडन को मैदान में न सिर्फ उतारा बल्कि उन्हें भी नगर पालिका परिषद जौनपुर का अध्यक्ष बना दिया. शहर में टंडन का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है. इस जीत के बाद तो लोग दंग रह गए और टंडन का उनकी पार्टी बसपा में भी कद बढ़ गया.
- चलेगा टंडन का जादू या आएगा कोई नया चेहरा ?
इन सबके इतर टंडन ने विधानसभा चुनाव के लिए प्रयास किया लेकिन वह असफल रहे. बहरहाल इस बार के निकाय चुनाव में टंडन एक बार फिर अपना जादू चला पाएंगे या फिर कोई नया चेहरा ही इस सीट पर विराजमान होगा, यह तो आने वाला समय बताएगा.
आजादी के बाद के अध्यक्षों का कार्यकाल
रामलगन सिंह-24.04.1948-29.11.1953
बलदेव जी मेहरोत्रा-30.11.1953-29.11.1957
रामेश्वर प्रसाद सिंह-30.11.1957-29.06.1959
यदुनाथ राय-30.06.1959-26.09.1960
शिव नरायन सिंह-26.09.1960-08.02.1961
राम नरायन बैंकर-08.02.1961-22.04.1961
नाजिम हुसैन-22.04.1961-27.03.1962
जयराम मौर्य-28.03.1962-16.05.1962
दीनानाथ खन्ना-17.05.1962-13.09.1962
प्रशासक-14.09.1962-10.11.1967
मायाशंकर श्रीवास्तव-11.11.1967-22.08.1969
संतसेवक लाल-23.08.1969-11.11.1972
प्रशासक-11.11.1972-07.02.1989
सीताराम यादव-08.02.1989-07.02.1994
प्रशासक-07.02.1994-30.11.1995
सन्ध्यारानी श्रीवास्तव-01.12.1995-30.11.2000
दिनेश टण्डन - 05.12.2000 से लगातार 3 बार
माया टण्डन - 2017 से 2022 तक
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