नया सवेरा नेटवर्क
प्रयागराज। प्रदेश के सहायता प्राप्त निज़ी माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य की नियुक्ति का मामला एक बार फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। प्रधानाचार्य नियुक्ति के लिए जारी परिणाम को यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि साक्षात्कार में नियमों का पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने इस मामले में सरकारी वकील को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है। साथ ही नियुक्त हो चुके प्रधानाचार्य के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने मिर्जापुर के डॉ संजय कुमार मिश्र की याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है कि प्रधानाचार्य की नियुक्ति के लिए आयोजित साक्षात्कार में नियमों का पालन नहीं किया गया। साक्षात्कार के लिए केजिंग सिस्टम अपनाया जाना था, जिसके तहत जिस विद्यालय के प्रधानाचार्य का साक्षात्कार होना है, उस विद्यालय के दो वरिष्ठ अध्यापकों और पांच बाहरी अध्यापकों सहित कुल सात लोगों का साक्षात्कार लिया जाना चाहिए था।
साक्षात्कार के दौरान विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापकों को दूसरे विद्यालयों में साक्षात्कार के लिएभेज दिया गया और उनके विद्यालय के साक्षात्कार में शामिल नहीं किया गया। इससे कई वरिष्ठ अध्यापक चयनित होने से वंचित रह गए। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने इस मामले में बेहतर हलफनामा दाखिल करने के लिए समय की मांग की। कोर्ट ने इसे मंजूर करते हुए अगली सुनवाई तक इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।
- नौ साल बाद आया था परिणाम
प्रदेश के 632 वित्त पोषित माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य नियुक्ति का विज्ञापन 2013 में जारी किया गया था। नियुक्ति प्रक्रिया शुरुआत से ही विभिन्न कानूनी लड़ाई में उलझी रही। अंततः 11 से 13 नवंबर 2022 के बीच 581 पदों का परिणाम जारी किया गया। परिणाम को दोषपूर्ण बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
0 टिप्पणियाँ