नया सवेरा नेटवर्क
||भानू भटके डगरिया||
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया|-२
भटके डगरिया हो भटके डगरिया
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
गहन विपिन नाहीं सूझे डगरिया|
कतहूँ प्रकाश नाहीं छाए अॕधेरिया||
भटकत भटकत पहुँचे कुटिया के पास हो|
भानू भटके डगरिया|
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
आखेटक बनिके नृप कानन में गइलें|
कपटी मुनी के आखेट बनि गइलें||
मुनि वो तो रहा अरि खास हो,भानू भटके डगरिया|
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
मीठि मीठि बतियन से नृप के रिझाएसि|
मज्जन कराइ व्यंजन मधुर खियाएसि||
भूतउ भविष्य बाएसि खास हो,भानू भटके डगरिया|
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
भूत बताइ बर्तमान बखानेसि|
भय वाली बतिया भविष्य में सानेसि||
शनि क बा शिर पे प्रकोप हो,भानू भटके डगरिया|
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
जाई प्रकोप एक यज्ञ करावअ|
विप्रन के भोज दइ आशीष पावअ||
मिटि जाई शनि क प्रकोप हो,भानू भटके डगरिया||
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
कानन से आइ भानू यज्ञ कराए|
उपरोहित कपटी मुनी को बनाये||
नेवते भू-सुर सब खास हो,भानू भटके डगरिया|
करने गये आखेट हो भानू भटके डगरिया||
भोजन सभी खास मुनि ही बनाया|
व्यंजन में आमिष गऊ का पकाया||
धोखा किया साथ घात हो,भानू भटके डगरिया|
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
जेवनार जेवन भू-सुर सब बइठे|
भई अकाशवाणी सब अइंठे||
विप्र न जेवअ आमिष हउ खास हो,भानू भटके डगरिया|
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
सुनिके गगनवाणी विप्र खिसियाने|
दइ दिहलें श्राप नृपति अकुलाने||
भुगते उपरोहित निज त्यागि हो,भानू भटके डगरिया||
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
पुनि नभ वाणी हुई अति भारी|
श्राप दिए विप्रों बिनहि विचारी||
एहमाॕ राजन का कौनो नाही दोष हो,भानू भटके डगरिया|
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
पश्चाताप हुआ विप्रन को भारी|
श्राप अमिट होयेगी होनहारी||
वापस न होई ई तो श्राप हो,भानू भटके डगरिया|
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
आशीष से ताप एकर कम होई| आँसू बहावअ जिनि राजन हे रोई||
देत बानी मुक्ती होए हरि के हाँथ हो,भानू भटके डगरिया|
करने गये आखेट हो,भानू भटके डगरिया||
पं.जमदग्निपुरी
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