नया सवेरा नेटवर्क
अधिसूचना जारी होने के बाद ही रंग पकड़ेगा निकाय चुनाव
अध्यक्ष पद के चयन पर हर दलों में चल रहा है गंभीर मंथन
दावेदारों की संख्या अधिक होने के कारण पशोपेश में हैं पार्टी प्रमुख
हिम्मत बहादुर सिंह
जौनपुर। नगरपालिका परिषद एवं नगर पंचायत अध्यक्ष पद अधिक से अधिक हथियाने के लिए सभी राजनीतिक दल अपने अपने ढंग से तैयारी करने में जुटे हुए हैं। अध्यक्ष पद पाने के लिए हर दलों में दावेदारों की अच्छी खासी फेहरिस्त है लेकिन सत्ताधारी दल भाजपा में तो इस पद के लिए दावेदारों की भरमार हो गई है। हर पार्टी ऐसे जातीय समीकरण बैठाकर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति बना रही है कि जनपद के तीन नगरपालिका अध्यक्ष एवं नौ नगर पंचायत अध्यक्षों को अपने खाते में करने के लिए बेताब नजर आ रही हैं। हलांकि सभासद पद के लिए आरक्षण की सूची जारी होने के बाद दावेदार अपनी तैयारी अपने अपने स्तर से करने में मशगूल दिख रहे हैं लेकिन अभी तक किसी राजनीतिक दल द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की गई है क्योंकि शासन स्तर से अधिसूचना जारी नहीं हो पाई है। आरक्षण को लेकर मामला कोर्ट तक पहुंच जाने के कारण अभी तक अधिसूचना जारी करने की तिथि निर्धारित नहीं हो पाई है यह कयास लगाया जा रहा है कि अधिसूचना जारी होने के बाद स्थानीय निकाय चुनाव की सरगर्मियां एक बार बहुत तेजी से बढ़ेगीं। अधिसूचना के बाद ही अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया भी शुरू होने के आसार दिखाई दे रहे हैं। हर दल के दावेदार मतदाताओं से यह कहने में पीछे नहीं है कि अगर मौका मिला तो इस बार नगरपालिक ा और नगर पंचायत के विकास कार्य इस कदर कराया जायेगा कि लोग याद रखेगें और पांच साल तक सभासदों और क्षेत्र की जनता का पूरा ख्याल रखा जायेगा। दावेदारों का तो यह पुराना जुमला है लेकिन जनता भी अब काफी जागरूक हो चुकी है इनके जुमले में आने वाली नहीं है अब तो जनता इस फैसले पर पहुंच चुकी है कि उन्हें नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष अपना विकास करने वाला नहीं जनता और क्षेत्र का विकास करने वाला चाहिए। बताते चलें कि कोई भी चुनाव इतना खर्चीला हो गया है कि आम प्रत्याशी यह पशोपेश में है कि अगर वह चुनाव मैदान में उतरता है तो आर्थिक मदद कहां से मिलेगी। चुनाव मंहगा होने के कारण ही अच्छे लोग राजनीति के क्षेत्र में नहीं आ पा रहे हैं और जिसके पास थोड़ा बहुत बाहुबल और आर्थिक रूप से संपंन है तो वह चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं और यह भी दावा कर रहे हैं कि उनका जीतना तय है। भले ही जनता में उनकी पैठ अन्य दावेदारों की अपेक्षा कम हो लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि आर्थिक युग होने के कारण वह दिशा और दशा को बदल सकते हैं। हर बार चुनाव के दौरान शासन प्रशासन द्वारा यह बताया जाता है कि कोई भी दावेदार और प्रत्याशी किसी भी मतदाता को लुभाए न और न किसी प्रकार का उसे प्रलोभन दे लेकिन दावेदार भी कम चालाक नहीं है वह तो आम जनता तक इस कदर प्रलोभन देकर पहुंच जाते है कि शासन प्रशासन को भनक तक नहीं लग पाती है। इस बार भी दावेदार इस फिराक में है कि जैसे ही अधिसूचना जारी होती है और अध्यक्ष पद के दावेदारों की सूची निकलने के बाद महौल एक बार फिर रंगीन हो जाने के आसार पूरी तरह से दिखाई दे रहे हैं। चर्चा यह भी है कि दावेदार अपने अपने इलाकों में सुरा की भी व्यवस्था भरपूर किये हैं और मौसम भी चुनाव के अनुकूल है। अब देखना है कि कौन दावेदार किस किस तरह के प्रलोभन देकर जीत का परचम लहराते हैं।
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