संवेदना और करुणा की वाहक होती हैं चिट्ठियां : ओम निश्चल | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

प्रयागराज। प्रसिद्ध कवि, अनुवादक, रूसी भाषा के शिक्षक गोपीकृष्ण 'गोपेश' के जन्मदिन पर रविवार को सरोजनी नायडू मार्ग स्थित प्रियदर्शनी अपार्टमेंट परिसर में 'गोपेश स्मृति पर्व' का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कई नामचीन गीतकार, साहित्यकार और कवियों ने शिरकत की। बतौर मुख्य अतिथि कवि ओम निश्चल ने कहा कि विलुप्त हो रहे पत्रों को सहेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि चिट्ठियां मनुष्य की संवेदना, करुणा और ‌भावनाओं की वाहक होती हैं। ओम निश्चल ने हाल के दशकों में हिन्दी की अस्मिता पर आए खतरों से रूबरू कराया। कहा कि राजभाषा की धाराएं द्विभाषित हैं। आजादी के बाद 1965 से अंग्रेजी बाकायदा विदा हो जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

प्रो. प्रणय कृष्ण ने कहा कि पत्र विधा बहुत समय से साहित्य का हिस्सा रही है। इन पत्रों में कौआ, कागा, मोर, कबूतर के पत्र वाहक होने के संदेश मिलते हैं। कवि हरिवंश राय बच्चन और गोपीकृष्ण एक श्रेष्ठ अनुवादक थे। बच्चन ने गोपेश को गद्य लेखन के लिए प्रेरित किया था। डॉ. धनंजय चोपड़ा ने कहा कि पत्रों की दुनिया अद्भुत है। पत्रों के विलुप्त होते ही हमारे बीच से शब्द गायब होते जा रहे हैं। डॉ. सुधांशु मालवीय ने कहा कि गोपेश और बच्चन श्रेष्ठ अनुवादक थे। इन दोनों से जिनकी मुलाकात नहीं हुई है, वह कमी यह पत्र पूरा कर देता है। इन पत्रों में दो मित्रों के बीच 20 सालों की घनिष्टता की कहानी छिपी हुई है। गोपेश की पुत्री और कथाकार अनीता गोपेश ने इन पत्रों का संकलन कर बड़ा काम किया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. राजेंद्र कुमार ने कहा कि गोपीकृष्ण मेरे गुरु रहे हैं। इन पत्रों के पढ़ने से स्वस्थ गुरु-शिष्य परंपरा की झलक मिलती है। यह पत्र बाजारवाद और भौतिक युग में विलुप्त हो रही संवेदना और भावनाओं के लिए आईना दिखाने का काम करते हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए गीतकार यश मालवीय ने कहा कि गोपेश और बच्चन को याद करना गंगा नहाने जैसा लगता है। इस अवसर पर रवि किरण जैन, प्रो. आरसी त्रिपाठी, प्रो. श्याम किशोर सेठ, प्रो. संतोष भदौरिया, डॉ. सूर्य नारायण, डॉ. राधेश्याम अग्रवाल, डॉ. अशरफ अली, रामजी राय, प्रो. अनामिका राय आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों ने बच्चन के पत्र गोपेश के नाम, 'पत्री जोग लिखी' पुस्तक का विमोचन किया। इन पत्रों का जिक्र करते हुए ओम निश्चल ने कहा कि गोपेश के माध्यम से अभी तक हरिवंश राय बच्चन का महिमा मंडन होता रहा है लेकिन अब गोपेश के व्यक्तित्व पर शोध होना चाहिए। उन्होंने गोपीकृष्ण गोपेश के लिखे गीत का पाठ भी किया। प्रो. अनीता गोपेश ने अतिथियों का स्वागत किया।

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