भागवत कथा सुनाते स्वामी नारायणानंद महाराज। |
नया सवेरा नेटवर्क
श्रीमदभागवत कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने सुनी कथा
जौनपुर। जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज ने असँवा में आयोजित श्री मद्भागवत कथा में उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आसुरी शक्तियों का नाश करने के लिए भगवान का अवतार होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग व उनके जन्म लेने के गूढ़ रहस्यों को कथा व्यास पूज्य गुरु देव ने बेहद संजीदगी के साथ सुनाया।जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। उन्होंने कहा कि कलियुग में कल्याण व भगवत चरणों को प्राप्त करने का साधन एक भाव हरि नाम है। हमें भगवान से भक्ति के अतिरिक्त और कुछ नहीं मांगना चाहिए। इसके अलावा कथा में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कैसे हुआ और जन्म के बारे में श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से विस्तृत वृत्तांत बताया। कथा सुनने आए भक्तों ने भी श्री कृष्ण जन्म को धूमधाम से मनाया। कथा के पूर्व पादुका पूजन आचार्य महेश देव पाण्डेय, सागर गर्ग तथा राजहंस, परमहंस सिंह ,नंदलाल सिंह सहित अनेकों भक्तों द्वारा सम्पन्न हुआ।
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