नया सवेरा नेटवर्क
जब अपने ही दिल को तोड़ें,
जाकर रोए कहां कहां।
कांटे सारी राह बिछे हो तो,
पांव को रखे कहां कहां।।
एक घर में जब आग लगी हो,
दौड़कर पानी मैं ले आऊं।
घर घर में जब आग लगी हो,
आग बुझाऊं कहां कहां।।
कफन तलक साथ मैं दूंगा,
ऐसी बातें मीत कहें जब।
बन कठोर प्याला दे बिस का,
तब दिल थामें कहां कहां।।
जब अपने ही दिल को तोड़ें,
जाकर रोएं कहां कहां।
कवि- राजेन्द्र प्रसाद ठाकुर
ए/301, नाकोड़ा दर्शन, बगल में- राजमाता नगर, अचोल रोड नालासोपारा (पूर्व) जिला-पालघर 401209
मो. 9967777524
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