नया सवेरा नेटवर्क
मुंबई। साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था संगीत साहित्य मंच की निरंतर चलाने वाली 92 वीं काव्य गोष्ठी का आयोजन शनिवार 12 नवंबर 2022 को संपन्न हुई।मुख्य अतिथि कवि एवं साहित्यकार पवन तिवारी की उपस्थिति,कवि ओम प्रकाश सिंह की अध्यक्षता और उमेश चंद्र मिश्र प्रभाकर के संचालन में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।उक्त कार्यक्रम संस्था के वरिष्ठ कवि अरुण मिश्र अनुरागी के आवास पर बड़ी ही सफलता पूर्वक सम्पन्न हुई। उपस्थित सभी अतिथियों एवं कवियों का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया। सदाशिव चतुर्वेदी "मधुर" ने प्रथम पुष्प स्वरूप "वन्दना वन्दना मैं करूँ वंदना" माँ वीणा पाणी के चरणों मे वन्दना अर्पित किया।उमेश मिश्र "प्रभाकर" ने सर्वप्रथम श्रृंगार रस के कवि अरुण मिश्र "अनुरागी" को आमन्त्रित किया।अनुरागी ने "येतो तनहाइयों में रात दिन सिहरती है,बोझ बनकर ये जिन्दगी सिसकती है" का सुन्दर प्रस्तुतिकरण करके गोष्ठी में श्रृंगार का रंग भर दिया।कार्यक्रम की अगली कड़ी में मधुर ने कवि की कलम नामक कविता प्रस्तुत कर खूब तालियाँ बटोरी।तत्पश्चात वरिष्ठ कवि तिलकराज खुराना ने "बारिस आने से पहले बारिश आने की तैयारी है" प्रस्तुत कर कवियों के मन को बाल्यावस्था की तरफ मोड़ दिया।कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कल्याण से पधारे हुए सुप्रसिद्ध कवि पवन तिवारी ने एक ग़ज़ल "अपने सपनो से लड़ रहा हूँ मैं,थोड़ा थोड़ा सा मर रहा हूँ मैं" को प्रस्तुत कर ख़ूब वाह लूटी।अगली कड़ी में वरिष्ठ कवि ओम प्रकाश सिंह ने "अरे स्वर्ग तू यहां छुपा है मेरी माँ के आँचल में,चल हट उठ मुझको सोने दे मेरी माँ के आँचल में" सुनाकर माँ की गोंद में स्वर्ग के सुख की अनुभूति करा दिया।सुप्रसिद्ध मंचसंचालक उमेश मिश्र ने कई मुक्तक प्रस्तुत किये तथा "जन्मभूमि नमन मातृ भूमि नमन" सुनाकर मातृभूमि के प्रति प्रेम भाव जागृत कर दिया।कार्यक्रम के दौरान हर किसी व्यक्ति को अपनी नवीनतम रचनाओं को खुलकर प्रस्तुत करने और तालियाँ बजाकर एकदूसरे का हौसला बढ़ाने का आनन्द कुछ अनूठा ही रहा।कार्यक्रम के समय संस्था के संयोजक रामजीत गुप्ता,वरिष्ठ कवि विधुभूषण त्रिवेदी,शारदा प्रसाद दुबे मुम्बई में न होने की वजह से इनकी कमी का एहसास होते रहा और चर्चा में रहे।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ओम प्रकाश सिंह ने अपने संबोधन में कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रसंसा की।मुख्य अतिथि साहित्यकार श्री पवन तिवारी जी ने गोष्ठियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि काव्यपाठ के साथ साथ रचनाओं की समीक्षा और साहित्यिक गुफ़्तगू भी अति आवश्यक है।अनुरागी जी के परिवार जनों ने स्वादिष्ट नास्ते द्वारा खूब आतिथ्य किया।अंत मे संस्था के सहसंयोजक सदाशिव चतुर्वेदी ने सभी को धन्यवाद देकर आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम का समापन किया।
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