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ड्रामा का मंचन करते कलाकार। |
नया सवेरा नेटवर्क
तेजी बाजार,जौनपुर। ठाकुर दिग्विजय सिंह के अत्याचार से लोग परेशान थे तब चंबल की रानी ने ठाकुर दिग्विजय सिंह की हत्या करके उसके आतंक से मुक्त कराया। लोहरियाव में हर वर्ष की तरह (कोरोना कॉल को छोड़कर) इस वर्ष भी दीपावली के 1 दिन बाद श्रीप्रकाश धर्म मंडल रामलीला समिति के द्वारा रामलीला खेलने के बाद चौथे दिन सामाजिक ड्रामा के रूप में इस बार चंबल की रानी (डाकू चंदन सिंह) का सफल मंचन किया गया जिसमें चंबल की रानी (महेश मौर्य) मुख्य भूमिका में रही इनके पिता सोहनलाल (गुलाब) बहुत ही गरीब और निस्सहाय व्यक्ति के रूप में में मंचन किया करण (प्रदुम) रानी का भाई पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका बखूबी निर्वहन किए ठाकुर दिग्विजय सिंह (इंद्रजीत) लोगों के प्रति बहुत ही क्रूर व्यवहार करते थे शैतान सिंह (राहुल) दुर्जन सिंह (अर्जुन) दिग्विजय सिंह के पाप कर्मों को अंजाम देने वाले लोग थे डाकू चंदन सिंह (अरविंद ) गरीबों का मसीहा कहा जाता है अमीरों का धन लूट कर गरीबों में बांट देता था। राका (पवन) शाका (नीरज) इनके कामों को प्रमुख रूप से अंजाम देते थे ज्योति (पंकज) दिग्विजय सिंह की पुत्री थी लेकिन रवि (मनीष) की प्रेमिका का किरदार बहुत ही बढि़या निभाया रामप्यारी (इंतजार) रामदुलारी (बेटू) अपने मंचन से जनता के दिलों में एक अलग पहचान बना लिए। कुछ समय बाद डाकू और पुलिस में मुठभेड़ होती है पुलिस की गोली लगने से चंदन सिंह की मृत्यु हो जाती है तब राका शाका शैतान सिंह और दुर्जन सिंह को मौत के घाट उतार देते हैं। चंबल की रानी बदले की भावना से ठाकुर दिग्विजय सिंह की हत्या कर देती है जिससे दिग्विजय सिंह के पाप कर्म की सजा मिलती है और जनता भय मुक्त हो जाती है।
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