नया सवेरा नेटवर्क
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की प्रासंगिकता पे किसी को संदेह नही रहा। जब दुनिया में डिप्रेशन(अवसाद) एक महामारी के रूप में चिन्हित हो चुका है; दुनिया का हर चौथा व्यक्ति मानसिक विकार से जूझ रहा है। ऐसे में कोरोना महामारी ने करेले को नीम पे चढ़ा दिया।
दस अक्टूबर को हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इसबार तो इसकी महत्ता और बढ़ी हुई है। अतुल क्लासेज और गंगोश्री हॉस्पिटल के कोलैबोरेशन में कोचिंग सेंटर प्रांगण, चहनियां में मेन्टल अवेरनेस प्रोग्राम का आयोजन किया गया। डॉ प्रदीप चौरसिया(न्यूरो साइकेट्रिस्ट) के द्वारा तैयार किए गए स्ट्रेस मेज़रमेंट स्केल को भरवा कर छात्रों के मेंटल स्ट्रेस लेवल का परीक्षण किया गया। ज्यादातर छात्र मानते हैं कि वह फुल्ली एफ्फिसिएंट नही हैं;कुछ ने तनाव में होने की बात स्वीकार भी की।
अतुल क्लासेज के डायरेक्टर अतुल जय ने बताया कि मनुष्य मात्र सभ्यता की शुरुआत से ही मानसिक विकारों को चरम लक्ष्य के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा शत्रु मानता रहा है। प्राचीन सनातन परंपरा में आप पाएंगे कि हर विचारक यथा पतंजलि, बुध और गांधी ने मनोविकारों पे विजय को ही परम मानवीय उपलब्धि के रूप में गिनाया है। मॉडर्न मेडिकल साइंस में इन विकारों को तमाम नामों से जाना जाता है। आज विज्ञान के विकास के साथ मानसिक रोगों का सम्पूर्ण समाधान उपलब्ध है। किसी भी राख-भभूत या ओझा-सोखा के चक्कर मे पड़ने की जरूरत नही है। सीधे प्रशिक्षित मनोचिकित्सक की मदद लें। अंत में उन्होंने अपने कोट को दोहराया और बात ख़त्म की: स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है लेकिन, उत्तम मानसिक स्वास्थ्य के बिना उत्तम शारीरिक स्वास्थ्य की प्राप्ति असम्भव है।
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