नया सवेरा नेटवर्क
- सम्भावित उम्मीदवार पेश कर रहे है अपनी-अपनी दावेदारी
- सीट घोषणा को लेकर असमंजस बरकरार
अज़ीम सिद्दीकी/सुरेश कुमार
खेतासराय, जौनपुर। नगर निकायों के समाप्त हो रहे कार्यकाल के साथ ही चुनाव आयोग द्वारा इसकी कवायद तेज़ी से शुरू कर दिया है। जिससे सियासी दलों में सरगर्मियां बढ़ गयी है। चेयरमैन से लेकर सभासद तक चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले एक दूसरे के खिलाफ शिकायतों क्रम प्रारम्भ हो चुका है तो कही अपनी मजबूत दमदारी पेश करने के लिए नाराज़ लोगों को मनाने का कार्य जारी है। वही सीट घोषणा को लेकर असमंजस बरकरार है। लेकिन सम्भावित उम्मीदवार अपना - अपना बैनर, होडिंग लगाकर दावेदारी पेश कर रहे है।
नगर निकाय चुनाव को लेकर चिट्टी चौराहों व चाय - पान की दुकानों पर सुबह - शाम चर्चाएं तेज़ी से चल रही है। सम्भावित उम्मीदवार धीर - धीरे किसी न किसी बहाने वार्डों में नज़र आ रहे है और मतदाताओं से करीबी बना रहे है। यद्यपि सभी राजनीतिक पार्टियों से टिकट हासिल करने के लिए जिला मुख्यालय से लेकर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक अपना प्रयास शुरू कर दिया है। इनदिनों चर्चा यह जोरो पर चल रहा है कि जिसे पार्टी का ककहरा तक नहीं पता है वह भी पार्टी का हितैषी बताकर टिकट लेने फिराग में लगा हुआ है।
लेकिन टिकट हासिल करने वालों की लम्बी फेहरिस्त भाजपा व सपा में बताई जा रही है। प्रदेश में दूसरे कार्यकाल के लिए चुनी गई बीजेपी सरकार की लगातार वोट बैंक बढ़ता जा रहा है। जिसके सहारे चेयरमैन बनने का सपना सजोएं भावी उम्मीदवारों ने टिकट के लिए अपना - अपना दांव पेंच खेल रहे है। कितने उम्मीदवार तो इस गुमान में डूबे हुए है कि हमारी सामाजिक पहुँच व वोट बैंक इतना है कि जिस पार्टी को गर्ज़ करेगा उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारेगी। वही समाजवादी पार्टी से निवर्तमान चेयरमैन वसीम अहमद भी सपा से मजबूत दावेदारी पेश करने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे। परिसीमन के पश्चात सीट की स्थिति क्लीयर होगी।
विदित हो की खेतासराय नगर पंचायत सदर विधान सभा सीट में आती है। जहां से बीजेपी के तत्कालीन राज्यमंत्री गिरीशचंद्र यादव विधायक थे। जिससे नगर निकाय चुनाव में इनकी प्रतिष्ठा दांव पर थी। जहाँ पर इनकी प्रतिष्ठा पर पूरी तरह से दाग लग गया, हाल यह रहा कि बीजेपी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गयी थी। यहां तक इस नगर पंचायत में एक भी सीट सभासदी भी नहीं जीत पायी। इसके पीछे का पार्टी के अंदर भीतरघात या कुछ और भी रहा हो? इस बार इस विधानसभा से गिरीशचंद्र यादव विधायक चुने जाने के बाद स्वतन्त्र प्रभार राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त हुआ है नगर निकाय चुनाव में पुनः प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी।
2017 के चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग सीट होने पर आठ उम्मीदवार मैदान में थे। जिसमें सपा से वसीम अहमद ने निर्दल उम्मदीवार निर्मला गुप्ता को पराजित कर विजय प्राप्त की थी। बाकी भाजपा, बीएसपी, कांग्रेस, राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल, सहित अन्य उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गयी थी।
अब आगे देखना होगा किस पार्टी से कौन उम्मीदवार बनकर मैदान में आता है और उस सीट पर कौन कामयाब होगा। यह तो भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल खेतासराय में नगर निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज़ी से बढ़ने लगी है कस्बा में होडिंग बैनर लगने शुरू हो गए है। हिन्दू-मुस्लिम वर्ग की अच्छी खासी संख्या वाले नगर पंचायत में चुनाव की चर्चा सोशल मीडिया से लेकर चिट्टी चौराहों पर जोर-शोर से चल रही है।
Ad |
Ad |
Ad |
0 टिप्पणियाँ