Hyderabad News: नाईपर हैदराबाद का 13वाँ दीक्षांत समारोह संपन्न
222 विद्यार्थियों को मिली उपाधियाँ
नया सवेरा नेटवर्क
हैदराबाद। राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (नाईपर), हैदराबाद का 13वाँ दीक्षांत समारोह शनिवार को संस्थान के सभागार में गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। समारोह में देश-विदेश से आए शिक्षाविदों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, विभिन्न नाईपर संस्थानों के निदेशकों, संकाय सदस्यों, छात्रों, पूर्व छात्रों एवं अभिभावकों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रो. दुर्ग सिंह चौहान, पूर्व कुलपति (उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय एवं उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय) एवं पूर्व अध्यक्ष, एआईयू (नई दिल्ली) रहे। उनके साथ डॉ. मुरली रामचंद्र, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, ऑरिजीन ऑन्कोलॉजी लिमिटेड भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। समारोह को संबोधित करते हुए नाईपर हैदराबाद के निदेशक प्रो. शैलेन्द्र सराफ ने कहा कि मात्र 18 वर्षों में संस्थान ने औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्टता का केंद्र बनकर अपनी सशक्त पहचान स्थापित की है। उन्होंने बताया कि एनआईआरएफ 2025 में प्राप्त 5वीं रैंक संस्थान की निरंतर प्रगति और गुणवत्ता का प्रमाण है। प्रो. सराफ ने संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्ष 2025 में 205 शोध पत्र प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए, 28 दायर पेटेंट में से 7 स्वीकृत हुए तथा संकाय सदस्यों को एक ही शैक्षणिक वर्ष में ₹7.38 करोड़ का अनुसंधान अनुदान प्राप्त हुआ, जो अब तक का सर्वोच्च है।
उन्होंने औषधि विभाग, भारत सरकार के सतत सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। डॉ. मुरली रामचंद्र ने स्नातक विद्यार्थियों को बधाई देते हुए स्वास्थ्य सेवाओं में रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण, किफायती उपचार, गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और अपूर्ण चिकित्सीय आवश्यकताओं की पूर्ति पर बल दिया। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उभरती प्रौद्योगिकियों, सतत कौशल विकास और उद्योग–अकादमिक सहयोग को समय की आवश्यकता बताया तथा छात्रों को ‘विकसित भारत’ के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। प्रो. दुर्ग सिंह चौहान ने अपने संबोधन में शिक्षा के मूल मूल्यों पर जोर देते हुए सत्यम (सत्य), ज्ञान और आरोग्यम (कल्याण) को व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय विकास के आधार स्तंभ बताया। उन्होंने शिक्षक-छात्र संबंध की पवित्रता को रेखांकित करते हुए कहा कि अज्ञानता सभी समस्याओं की जड़ है, जबकि ज्ञान स्थायी समाधान प्रदान करता है।
दीक्षांत समारोह के दौरान कुल 222 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 28 पीएच.डी. शोधार्थी तथा एम.एस. (फार्मा.), एम.टेक. (फार्मा.) और एम.बी.ए. (फार्मा.) कार्यक्रमों के 194 विद्यार्थी शामिल थे। उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए विभिन्न विषयों के मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।समारोह का समापन निदेशक प्रो. शैलेन्द्र सराफ द्वारा स्नातकों को दिलाई गई प्रेरक शपथ के साथ हुआ। उन्होंने विद्यार्थियों से अपने पेशेवर जीवन में नैतिक मूल्यों, नवाचार और उत्कृष्टता को आत्मसात करने का आह्वान किया। अंत में संस्थान ने सभी स्नातकों एवं स्वर्ण पदक प्राप्तकर्ताओं को शुभकामनाएँ दीं और विश्वास व्यक्त किया कि वे देश-विदेश में शिक्षा, अनुसंधान, उद्योग और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देंगे
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