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Poetry: विधाता ने रची है सृष्टि पर आधार नारी है...


नया सवेरा नेटवर्क

ग़ज़ल

विधाता ने रची है सृष्टि पर आधार नारी है.  

मधुरता है उसी से प्रेम का संसार नारी है..


उसी से जिंदगी है और हम उस जिंदगी से हैं. 

मनुज की पीढ़ियों का विश्व में विस्तार नारी है..


कलुष को काट देती है उजाले की कटारी से 

मिले यदि प्यार सच्चा प्यार पर बलिहार नारी है..


बहन, माँ, प्रेमिका, बेटी वधू है और देवी भी. 

हमारे स्नेह के रिश्तों का शुभ श्रृंगार नारी है.


वही उंगली पकड़ कर सृष्टि को चलना  सिखाती है. 

स्वयं ईश्वर को रचती है वो रचनाकार नारी है..


उसे मत तौलिये अपनी हवस वाले तराजू पर, 

बूंद है ओस की तो वक्त पर अंगार नारी है..


त्याग है, राग है, सुख है समर्पण है अनल भी है. 

तुम्हारी भावना का सौ गुना विस्तार नारी है...


डॉ. शोभा दीक्षित 'भावना',

संपादक, अपरिहार्य /उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान

LIC HOUSING FINANCE LTD. के विनोद कुमार यादव की तरफ से रक्षाबंधन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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