Article: यह ब्लास्ट ब्लास्ट नहीं खुफिया तंत्र की घोर नाकामी है...
नया सवेरा नेटवर्क
हमारा देश चारो तरफ से चौकस सुरक्षित रहे, इसके लिए देश में करोड़ों वैतनिक लोग लगे हैं।जो खरबों रुपए सेवा के नाम पर डकार रहे हैं। जिसमें सीमा सुरक्षा बल, थल सेना, जल सेना, वायु सेना, पुलिस, सीआईडी, सीबीआई, आईबी, एटीएस, एनआईए, सीआरपीएफ, आरपीएफ, होमगार्ड आदि विभाग है। सबके सब देश प्रांत जिला गाॅंव की सुरक्षा करने के लिए सरकार से मोटी पगार लेते हैं। उपरोक्त उल्लिखित विभागों को पगार देने के लिए सरकार जनता से मोटा टैक्स लेती है। इसके बावजूद न देश सुरक्षित है न देशवासी।जब से होश सम्हाला है। कोई ऐसा दिन नहीं बीता, जिस दिन किसी खुशखबरी को सुनकर दिल आह्लादित हो गया हो। आये दिन चोरी डकैती छिनैती फिरौती आतंकी घटनायें जातिवादी दंगा धर्मवादी दंगा से लाखों निर्दोष लोगों की बलि चढ़ रही हैं।सभी सुरक्षा के इंतजाम नगण्य से दिख रहे हैं।यदि चौकस होते तो लाखों जिंदगियां यूं बेमौत न मरती। न ही लोगों को अपना जीवन संकटग्रस्त लगता।
विगत कुछ वर्षों से देश में लोग थोड़ा सा सुकून महसूस कर रहे थे। लोगों को लगने लगा था शायद मेरा दिया हुआ कर मेरे काम में लग रहा है। क्योंकि लोग २०१७ के बाद से काफी राहत की सांस लेना शुरू कर दिए थे। क्योंकि विगत कुछ दिनों से देश में न कोई आतंकी घटना हो रही थी न जातिवादी या धर्मवादी दंगा ही हो रहा है।चोरी डकैती छिनैती आदि में भी कमी दिख रही थी।मगर इसी बीच विगत वर्ष पुलवामा की घटना ने लोगों में सिहरन पैदा कर दी। हालांकि भारत सरकार ने पुनः सिहरन को दिल से निकालने के लिए आपरेशन सिंदूर चलाकर आतंकवादियों की कमर तो थोड़ी तोड़ा।मगर कल लालकिले के पास में हुआ धमाका फिर से सभी सुरक्षा एजेंसियों पर सवालिया निशान लगा दिया।
समझ में नहीं आता जो बातें घटना के बाद बताई जाती हैं,वहीं बातें पहले क्यों नहीं पता की जाती।घटना के बाद सबकुछ छानकर बाहर कर लेते हो तो,घटना के पहले सोये क्यों रहते हो।क्या घटना जानबूझकर करवाई जाती है।जिस तरह से घटना के बाद सारी सुरक्षा एजेंसियां ऐक्टिव होती हैं।वो घटना के पहले कहाॅं सोती रहती हैं।जब भी कोई आतंकी घटना होती है तो सरकार पाकिस्तान पर अपना ठीकरा फोड़ कर इति श्री मान लेती है। दो चार को पकड़ कर टीवी पर आके भाषड़बाजी करके काम सम्पन्न करके ख़ुशी मनाती है। अपनी नाकामियों को बहादुरी का तमगा देकर भोली भाली जनता से ताली बजवाती है। मगर अपनी नाकामियों पर कभी भी काम नहीं करती। ऐसा नहीं है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां जानती नहीं। सब जानती हैं। फिर भी कुछ करती नहीं। साॅप निकल जाने के बाद लकीर पीटती हैं। यदि कोई नई बात हो जाय तो धोखे से हुआ समझा जा सकता है।आतंक का दंश हम भारतवासी १९४७ से ही झेलते आ रहे हैं।इसको रोकने के लिए सरकारें समय समय पर बहुत से नियम कानून बनाये। पर फायदा कुछ नहीं हुआ। आतंकवाद कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। एक कहावत है ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया।तरीके वहीं है। आतंकी पाकिस्तान से आकर हमारे देश में लोगों की जिंदगियों से खेलकर आसानी से चले जाते हैं।और हम यहाॅं टीवी पर बैठकर डिवेट करके इति श्री कर लेते हैं।
करते कुछ नहीं हैं।हमारी तमाम खुफिया एजेंसी क्या कर रही हैं।सवाल ये है कि इतनी सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद आतंकी अंदर आते कैसे हैं।कल की घटना हमारे सभी सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी का परिणाम है। आखिर हम भारतवासी कब तक नेताओं की राजनीति का शिकार बनते रहेंगे।कबतक हम भारतवासी अपनों की लाश पर रोयेंगे।आखिर कब तक हम भारतवासी अपनी खुफिया एजेंसियों की नाकामियो का दंश झेलेंगे। कब खुफिया एजेंसियां अपना काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करेंगी। कल की घटना हर भारतवासियों को सोचने पर विवश कर रही है। माना की विगत सरकारें कुछ नहीं कर पा रही थीं। मगर आप तो उनकी ही नाकामियों से निजात दिलाने के लिए आये हो।आपको विगत १२ वर्षों से हम भारतवासी चुन रहे हैं तो उनकी नाकामियों को सुधारने के लिए ही न।यदि आप भी उनके जैसे ही काम करेंगे तो उनमें और आपमें अंतर ही क्या है। आपको हम भारतवासी इसीलिए चुन रहे हैं कि आप हम सबकी सुरक्षा के साथ साथ देश का गौरव बढ़ायें। हालांकि आपने देश का गौरव बढ़ाया है। लेकिन वह गौरव किस काम का, जिसको देखने के लिए हम जीवित ही नहीं रह पायेंगे।
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सरकार को यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि कि कल की घटना घोर खुफिया तंत्र की लापरवाही का परिणाम है।यदि सही ढंग से कार्य किया होता तो कल वो तमाम जिंदगियां यूं बरवाद नहीं होती। सरकार को चाहिए कि ऐसे हर उस विभाग के विभागाध्यक्षों पदाधिकारियों को तत्काल बर्खास्त करके नये जोशीले कर्तव्यनिष्ठ लोगों को जो देश और देशवासियों के प्रति समर्पित हों। उन्हें उस काम में लगाये। जिंदगियों का मोल मुवावजे से न तौले।जनता की सुरक्षा के लिए इमानदारी व निष्ठा से काम करें। टीवी पर बैठकर घड़ियाली आंसू न बहाये। खुफिया तंत्र की नाकामियों की सजा भोली भाली जनता को न दें।समय रहते जो भी कदम उठाना है उठाये। यदि इसका दोषी पड़ोसी पाकिस्तान है या बंग्लादेश तो दोनों को अच्छी तरह से सबक सिखाये। बद्जात को आधा अधूरा समझ में नहीं आता। उसे पूरा का पूरा विधिवत समझाना हर समय, समय की मांग होती है। आज समय की मांग है कि किसी भी अपराधी को किसी भी कीमत पर जिंदा न छोड़ा जाय।आतंक भारत में कैंसर की तरह काम कर रहा है। भारत को चाहिए की आतंक का खात्मा करने के लिए आपरेशन करे।और कीमो अथवा रेडिएशन करे।कुछ भी करे पर आतंक को खत्म करे। जनता की उम्मीदों को मरने न दे। खुफिया तंत्र की नाकामियों कर पर्दा न डाले।
पं.जमदग्निपुरी

